दो जहां में तुझसा हुश्न नहीं है।
तेरी महफिल जैसा, जश्न नहीं है।

तू ही तो मेरी मंजिले, मकसूद है।
तुझसे अलग हमारा कोई मिशन नहीं है।
ये बहारें खिलती हैं तुम्हारी मुस्कुराहटों से।
करोड़ों हार्टबीट बढ़ जाती है कदमों की आहटों से।

तुझे बाहों में भरने की हट लिए,
बैठे हैं करोड़ों जिद्दी दिल।
जो तड़प रहे हैं बस तुम्हारी चाहतों से।
“संजय बघियाड़ “
सुमिरन से कटते जाते हैं संचित कर्म: पूज्य गुरु जी
सच्चे रूहानी रहबर पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां फरमाते हैं कि इन्सान सच्चे दिल से सुमिरन, भक्ति-इबादत करे, तो उसके जन्मों-जन्मों के संचित पाप-कर्म कट जाया करते हैं। पिछले जन्मों के पाप-कर्म, जिनका लेखा-जोखा लिख-बोल कर नहीं बताया जा सकता, वो संचित कर्मों का दायरा बड़ा जबरदस्त है। चौरासी लाख शरीरों को भोगते-भोगते आखिर में मनुष्य शरीर मिला है। अगर आप इनका एक-एक कर्म मानें तो 84 लाख कर्म इस शरीर को उठाने पड़ते हैं। लेकिन इन्सान सुमिरन, भक्ति-इबादत करे, अपने अल्लाह, वाहेगुरु, राम पर दृढ़ यकीन रखे, तो जन्मों-जन्मों के पाप-कर्म कट जाया करते हैं।
पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि पाप-कर्मों के कारण इन्सान को यह नहीं पता होता कि आने वाले समय में उसे किस स्थिति का सामना करना पड़ेगा, इसलिए आप सुमिरन के पक्के बन जाओ। एक-एक घंटा सुबह-शाम मालिक की याद में समय लगाओ, ताकि पाप-कर्म कट जाएं और जीते-जी गम, दु:ख, दर्द, चिंताओं से मुक्ति हासिल करके आप मालिक की कृपा-दृष्टि के काबिल बन जाओ। पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि इस कलियुग में इन्सान वचनों पर अमल नहीं करता बल्कि मनमर्जी करता है और मनमर्जी करने से परेशानियां आती हैं, फिर इन्सान इसका दोष मालिक को देता है। वह कभी यह नहीं कहता कि मुझमें कमियां हैं। सत्संगियों को भी देखा, साथ सेवा करते रहते हैं, उनकी जुबान पर भी एक ही बात होती कि मालिक कब कृपा करेगा। हमने दो-चार से पूछा कि क्या लगातार सुमिरन करते हो? वो कहते कि सुमिरन तो नहीं बनता। हमने कहा कि सेवा में भी निंदा-चुगली करते रहते हो, आपकी निगाह कहीं और ही चलती रहती है और कहते हो कि कर्म मालिक नहीं काटता। यानि इन्सान सारा दोष मालिक को ही देता है।
पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि जब आप सेवा कर रहे हो, तो निगाह (ध्यान) सेवा की तरफ ही रखनी चाहिए। निंदा-चुगली, बुराईयां नहीं करनी चाहिए। अगर आप ऐसा करते हैं तो मालिक फल कहां से देगा। अगर आप वाकई में फल चाहते हैं, तो सेवा करते समय आप अपने अल्लाह, वाहेगुरु, सतगुरु, मौला में ध्यान रखें, मेहनत, हिम्मत करें, तो पाप-कर्म भी कटेंगे और मालिक की कृपा-दृष्टि के काबिल भी बनते चले जाएंगे।















