Donald Trump: ट्रंप ने खेला नया कूटनीतिक दांव: G7 से हटकर ‘C5 ग्रुप’ का प्रस्ताव, भारत साथ-साथ चीन-रूस भी होंगे शामिल

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Trump’s C5 Group: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा यूक्रेन–रूस युद्ध में शांति स्थापना के प्रयास अपेक्षित परिणाम नहीं दे सके हैं। इसी पृष्ठभूमि में वॉशिंगटन की नीति-निर्माण गलियारों में एक नया और परंपरागत ढांचे से अलग विचार चर्चा में है। इस प्रस्ताव के अनुसार, वैश्विक स्तर पर प्रभावशाली देशों को एक नए मंच “कोर–5” के अंतर्गत जोड़ा जा सकता है, जिसमें चीन और रूस जैसे देश भी शामिल होंगे। यह अवधारणा मौजूदा जी–7 समूह से पूरी तरह भिन्न बताई जा रही है। Donald Trump

विश्लेषकों का मानना है कि भले ही यह विचार पहली नज़र में असंभव प्रतीत हो, लेकिन इसमें ट्रंप की विशिष्ट कूटनीतिक शैली की झलक मिलती है। रिपोर्टों के अनुसार, ट्रंप ने अपने राजनीतिक जीवन में पारंपरिक विरोधियों से संवाद और समझौते की राह अपनाने की कई बार कोशिश की है। इनमें चीन को उन्नत एआई तकनीक से जुड़ी चिप्स की बिक्री को अनुमति देना तथा अपने करीबी प्रतिनिधियों के माध्यम से रूसी नेतृत्व से सीधी बातचीत जैसे कदम शामिल बताए जाते हैं।

ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान व्हाइट हाउस में कार्य कर चुके एक पूर्व अधिकारी ने, पहचान गोपनीय रखने की शर्त पर, कहा कि अमेरिका, चीन, भारत, जापान और रूस को साथ लाने वाले इस संभावित मंच का विचार पूरी तरह अप्रत्याशित नहीं था। उनके अनुसार, उस समय यह महसूस किया जा रहा था कि जी–समूह या संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद जैसी संस्थाएं बदलते वैश्विक शक्ति संतुलन को पर्याप्त रूप से प्रतिबिंबित नहीं कर पा रही हैं। Donald Trump

“कोर–5” जैसी अवधारणा ट्रंप के विश्व-दृष्टिकोण से मेल खाती है”

सूत्रों के मुताबिक, इस नए समूह की परिकल्पना हाल ही में तैयार की गई राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति के एक प्रारंभिक और सार्वजनिक न किए गए मसौदे में सामने आई थी। हालांकि, व्हाइट हाउस ने ऐसे किसी दस्तावेज़ के अस्तित्व से इनकार किया है और कहा है कि आधिकारिक योजना के अलावा कोई अन्य गुप्त या वैकल्पिक प्रारूप मौजूद नहीं है।

फिर भी, कई राष्ट्रीय सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि “कोर–5” जैसी अवधारणा ट्रंप के विश्व-दृष्टिकोण से मेल खाती है। उनका दृष्टिकोण वैचारिक सीमाओं से अधिक शक्ति-संतुलन, प्रभाव क्षेत्रों और प्रमुख नेताओं के साथ प्रत्यक्ष संवाद पर केंद्रित रहा है। विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि यदि ऐसा कोई मंच बनता है और उसमें यूरोप को स्थान नहीं मिलता, तो इससे यह संकेत जा सकता है कि अमेरिका रूस को यूरोप में प्रभाव रखने वाली एक प्रमुख शक्ति के रूप में देखता है।

कुछ पूर्व नीति सलाहकारों ने इस विचार को ट्रंप की पहले की चीन नीति से उलट बताया है। उनके अनुसार, पहले कार्यकाल में अमेरिका ने महाशक्तियों के बीच प्रतिस्पर्धा के ढांचे को अपनाया था, जबकि यह नई सोच सहयोग और साझा मंच की ओर इशारा करती है।

हालांकि यह पहली बार नहीं है जब वैश्विक शक्ति संरचना में बदलाव पर विचार हुआ हो। इससे पहले भी अमेरिका–चीन के बीच शीर्ष स्तर की बैठकों और संभावित नए द्विपक्षीय प्रारूपों ने अमेरिकी राजनीति में बहस को जन्म दिया था। ऐसे में “कोर–5” की अवधारणा को वैश्विक राजनीति में उभरते नए प्रयोग के रूप में देखा जा रहा है। Donald Trump