नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा व्यापारिक साझेदार देशों पर लगाए गए अतिरिक्त शुल्क का असर अब साफ दिखाई देने लगा है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि इन टैरिफों के चलते अमेरिका की आर्थिक वृद्धि दर लगभग 0.4 से 0.5 प्रतिशत तक घट सकती है, जबकि महंगाई पर दबाव लगातार बढ़ सकता है। भारत से निर्यात होने वाले सामानों पर अमेरिका ने हाल ही में 25 प्रतिशत का अतिरिक्त शुल्क लागू कर दिया है। इसके साथ ही भारतीय उत्पादों पर कुल शुल्क दर 50 प्रतिशत तक पहुँच गई है। Trump Tariffs News
एसबीआई रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार, पूरे वर्ष 2026 में अमेरिका की मुद्रास्फीति दर 2 प्रतिशत से अधिक बनी रह सकती है। इसका मुख्य कारण ऊँचे टैरिफ के कारण आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान और मुद्रा विनिमय दरों में अस्थिरता बताया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल और उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुओं जैसे आयात-निर्भर क्षेत्रों पर इसका सर्वाधिक प्रभाव पड़ रहा है।
अमेरिकी उपभोक्ताओं और उद्योगों पर भी लागत का बोझ बढ़ेगा
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि भारतीय वस्तुओं पर ऊँचे टैरिफ लगाने से न केवल भारत के निर्यात को नुकसान होगा, बल्कि अमेरिकी उपभोक्ताओं और उद्योगों पर भी लागत का बोझ बढ़ेगा। अनुमान है कि इससे अमेरिका की जीडीपी पर 40 से 50 आधार अंकों तक का असर पड़ सकता है।
इस बीच, फेडरल रिजर्व के अध्यक्ष जेरोम पॉवेल ने जैक्सन होल में आयोजित वार्षिक सम्मेलन में कहा कि बढ़ती कीमतों और रोजगार बाजार की चुनौतियों के बीच संतुलन बनाना उनकी प्राथमिकता है। उन्होंने माना कि ऊँचे शुल्कों का सीधा असर कीमतों पर दिखने लगा है। जुलाई में थोक मूल्यों में लगभग 1 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जो पिछले तीन वर्षों में सबसे तेज़ उछाल है। आर्थिक विश्लेषकों का कहना है कि जब तक यह टैरिफ नीति जारी रहेगी, अमेरिकी परिवारों और उपभोक्ताओं को अपने दैनिक बजट पर अतिरिक्त दबाव झेलना पड़ेगा। Trump Tariffs News
Russia: रूस का 80% क्षेत्र लगभग खाली, जानिए इसके पीछे की वजह