न्यूयॉर्क। अमेरिका और रूस के बीच तनाव एक बार फिर गहराता दिखाई दे रहा है। अमेरिका ने संकेत दिए हैं कि यदि रूस यूक्रेन संघर्ष में अपनी आक्रामकता जारी रखता है, तो उस पर और कठोर आर्थिक प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं। अमेरिकी प्रशासन का मानना है कि अब तक लगाए गए प्रतिबंध रूस को पीछे हटाने में पूरी तरह प्रभावी साबित नहीं हुए हैं। US Russia News
विशेषज्ञों का कहना है कि नए प्रतिबंधों का दायरा व्यापक हो सकता है, जिसमें ऊर्जा क्षेत्र और अंतरराष्ट्रीय व्यापार प्रमुख रूप से प्रभावित हो सकते हैं। अमेरिका चाहता है कि यूरोपीय संघ (ईयू) भी उसके साथ मिलकर रूस पर दबाव बनाए, ताकि मास्को को वार्ता की मेज पर लाया जा सके। हालांकि, आलोचकों का मत है कि ईयू स्वयं रूस से प्राकृतिक गैस खरीद रहा है और अप्रत्यक्ष रूप से रूसी तेल पर आधारित उत्पादों का आयात भी करता है। ऐसे में उसका दोहरा रवैया स्पष्ट रूप से सामने आ रहा है।
यूक्रेन ने बार-बार यह मांग उठाई है कि रूस पर और कठोर कदम उठाए जाएं
दूसरी ओर, यूक्रेन ने बार-बार यह मांग उठाई है कि रूस पर और कठोर कदम उठाए जाएं। यूक्रेन के राष्ट्रपति ने कहा है कि जब तक रूस ऊर्जा संसाधनों से लाभ कमाता रहेगा, तब तक उसके युद्ध प्रयासों को रोकना कठिन होगा। भारत का नाम भी इस विवाद में कई बार सामने आ चुका है। पश्चिमी देशों का आरोप है कि भारत रूसी तेल खरीदकर वैश्विक प्रतिबंधों को कमजोर कर रहा है। हालांकि, भारत का कहना है कि वह अपनी ऊर्जा ज़रूरतों को ध्यान में रखकर ही निर्णय लेता है और यह पूरी तरह उसकी संप्रभु नीतियों का हिस्सा है।
अंतरराष्ट्रीय राजनीति के जानकारों का मानना है कि यदि अमेरिका और उसके सहयोगी रूस पर नए प्रतिबंध लगाते हैं, तो वैश्विक ऊर्जा बाजार पर गहरा असर पड़ेगा। इससे न केवल रूस और यूक्रेन, बल्कि एशिया और यूरोप के देशों की अर्थव्यवस्थाएं भी प्रभावित हो सकती हैं। US Russia News