हरी सब्जियों को लगने लगा तड़का तो रसोई गैस सिलेंडर, मोटी लकड़े, कोयला बिगाड़ रहे बजट

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सब्जियों के दाम पूरे उफान पर है।

अबोहर। (सच कहूँ/सुधीर अरोड़ा) घर की रसोई का बजट बिगाड़ने वाली सब्जियों के दामों में तेज होने से महंगाई के कारण आलू, प्याज, टमाटर के तेवर निराले होने से आमजन की थाली से दूर होते नजर आते है। परंतु अभी दाम कम होने के चलते यह आमजन की थाली में पहुँच रहे है। इसके अलावा जिन सब्जियों के भाव आसमान छू रहे थे उन सब्जियों के दाम भी काफी गिर चुके हैं। जिससे थाली में स्वाद बढ़ाने वाली दो दर्जन सीजनल सब्जियां अब आमजन के बजट में आ गई हैं।

अब मजदूर वर्ग भी पहुंच से दूर वाली सब्जियों के स्वाद चखने लगे हैं। आने वाले दिनों में इनके दाम और गिरने की संभावना जताई जा रही है। सब्जी के कारोबारियों की मानें तो पिछले काफी लंबे समय बाद नववर्ष के दिनों में दामों में काफी गिरावट आई हैं। आने वाले दिनों में अभी और कमी आएगी। ऐसा नई फसल आने की वजह के कारण हुआ है। बहरहाल अब आमजन की जेब पर महंगाई की मार थोड़ी कम जरुर होगी। गली-मोहल्लों में सब्जियों के ठेले सुबह शाम पहुँच रहे जिससे लोगों को भी रोजगार मिल रहा है। तो लोगों को भी स्पेशल बाजार जाने की बजाय डोर टू डोर मनचाही सब्जियां मुहैया हो रही है।

मंडी व रेहड़ियों/दुकानों पर सब्जियों के दाम थोक ओर रिटेल प्रति किग्रा हिसाब से :

…लेकिन सिलेंडर, मोटी लकड़ियों के ऊँचे दाम बिगाड़ रहे बजट
सब्जियों के कम हुए दामों के चलते गृहणियों सुमन, पूजा अरोड़ा, ममता बजाज, रीना, पिंकी ठठई, रेणु, नीरु धमीजा, सपना आदि ने बताया कि हरी सब्जियों के दाम बजट में है। परंतु बात अगर रसोई गैस सिलेंडर व सर्दी के दौरान मोटी लकड़ी की करें तो इनका बजट पहुँच से बाहर है। सिलेंडर कभी 50, कभी 75, कभी 100 तो कभी 150 रुपए की कीमत में बढ़ोतरी होते होते अब 1092 रुपए का हो गया है, जबकि मोटी लकड़े व कोयला की कीमतें भी बहुत ज्यादा है। वहीं कुछ उपभोक्ता गैस सिलेंडर के बारे सरकार से यह कहने लगे हैं, बेहतर होता, मुफ्त में बांटने की बजाय कीमत नियंत्रण में रखते। कम से कम रसोई का बजट तो न बिगड़ता।

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