गांव गोरखाना में टंकी पर चढ़े 11 जने

  • रोष वंचित गांवों को सिंचाई से जोड़ने की मांग पर ‘वीरूगिरी’
  • कलक्टर को बुलाने की मांग पर अड़े

Nohar, SachKahoon News: सिंचाई से वंचित गांवों को सिंचाई सुविधा से जोड़ने की मांग को लेकर चल रहे आन्दोलन की कड़ी में सोमवार को असिंचित क्षेत्र संघर्ष समिति के 11 सदस्य नोहर के गांव गोरखाना में पेयजल की टंकी पर चढ़ गये। टंकी पर चढ़े आंदोलनकारी कलक्टर के मौके पर पहुंचकर कोई ठोस आश्वासन देने की मांग पर अड़ गये। इससे पूर्व सुबह करीब 11 बजे समिति के मंगेज चौधरी, सोहन ढिल, महंत गोपालनाथ, राजेश मेहरा, प्रताप महरिया, धर्मपाल गोदारा, सुरजीत बिजारणियां, नरेश सिराव, मनीराम गोदारा सहित दो अन्य गांव गोरखाना में पानी की टंकी पर चढ़ गये।
आंदोलनकारियों ने सिंचाई से वंचित 17 गांवों को सिंचाई सुविधा से जोड़ने की मांग दोहराई। टंकी पर चढ़े जिला परिषद सदस्य मंगेज चौधरी ने बताया कि सरकार व प्रशासन के बार-बार कोरे आश्वासनों के कारण किसानों का धैर्य जवाब देने लगा है। चौधरी के अनुसार क्षेत्र के 17 गांवों के किसान लम्बे समय से सिंचाई से वंचित गांवों को सिंचाई से जोड़ने की मांग को लेकर आन्दोलन कर रहे हैं। मगर किसानों की इस ज्वलंत समस्या का निराकरण करना तो दूर की बात आज तक गंभीरता से विचार भी नहीं किया गया। उन्होंने बताया कि इसी के चलते किसान इस बार मौके पर परिणाम नहीं आने तक संघर्ष करने की रूपरेखा तय कर चुके हैं। सोहन ढिल का कहना था कि किसान इस बार आर-पार की लड़ाई लड़ने का मन बना चुके हैं। सरकार व प्रशासन के ढुलमुल रवैये के कारण किसानों में आक्रोश है।

मौके पर पहुंचा प्रशासन
उधर, समिति सदस्यों के टंकी पर चढ़ने की सूचना मिलने पर नोहर तहसीलदार के अलावा थानाधिकारी रणवीर सार्इं मय पुलिस टीम मौके पर पहुंचे तथा आंदोलनकारियों से समझाइश की लेकिन वे जिला कलक्टर को मौके पर बुलाकर वार्ता करने की मांग पर अड़े रहे। समाचार लिखे जाने तक मौके पर भारी तादाद में ग्रामीण मौजूद थे। ज्ञातव्य हो कि समिति द्वारा इससे पहले 27 नवम्बर को गांव जोखासर में विशाल ललकार सभा का आयोजन किया गया था तथा 14 जनों ने गिरफ्तारियां दी थी। आन्दोलन की कड़ी में किसानों ने 15 दिसम्बर को नोहर में एसडीएम कार्यालय का बेमियादी घेराव करने की घोषणा भी कर रखी है।

क्या बोले समिति के अध्यक्ष
समिति के अध्यक्ष गोपालनाथ ने बताया कि बार-बार आश्वासन मिलने के बाद भी समस्या का समाधान होने पर किसानों को मजबूर होकर यह कदम उठाना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि प्रशासन किसानों के सब्र की परीक्षा ले रहा है। गांवों के किसानों को सिंचाई सुविधा नहीं मिली तो सरकार को किसानों का रोष झेलना पड़ेगा।