
नई दिल्ली। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष तथा लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने कहा है कि चुनाव आयोग की गतिविधियों पर उन्हें 2014 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को मिली जबरदस्त जीत के बाद से ही संदेह पैदा हो गया था और जब उन्होंने इसकी सच्चाई जानने का प्रयास किया तो जो हकीकत सामने आयी उसको वह पूरे देश को अवगत कराएंगे। गांधी ने शनिवार को यहां विज्ञान भवन में पार्टी के विधि विभाग के वार्षिक अधिवेशन को संबोधित करते हुए कहा कि 2014 से ही उन्हें चुनाव प्रणाली पर संदेह हो रहा है। उस समय भाजपा का इतनी बड़ी जीत हासिल करने पर उन्हें बहुत आश्चर्य हुआ था। बाद में भी इसी तरह की स्थिति वह देखते रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘महाराष्ट्र में जो हुआ, उसने मुझे इस मुद्दे को गंभीरता से लेने पर मजबूर कर दिया। मैं बिना सबूत के कुछ नहीं कह सकता था लेकिन अब मैं बिना किसी संदेह के कहता हूँ कि हमारे पास सबूत हैं। हम पूरे देश को दिखाएंगे कि चुनाव आयोग जैसी संस्था ठीक से काम नहीं करती है। उसने समझौता किया है। हमें सबूत ढूँढ़ने में छह महीने जरूर लग गए लेकिन आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि आयोग द्वारा उपलब्ध कराए गए दस्तावेजों को स्कैन या कॉपी नहीं किया जा सकता। सवाल है कि चुनाव आयोग मतदाता सूची पर स्कैन और कॉपी सुरक्षा क्यों लागू करता है।
गांधी ने कहा कि राजनेता होने के नाते उनका एक बड़ा काम दूसरे राजनेताओं से मिलना होता है। जब आप किसी राजनेता से मिलते हैं तो पहले वह इधर-उधर की बातें करते हुए और अंत में वह उस मुद्दे पर बात करते हैं। तब तक उनकी जाने के लिए तैयारी हो जाती है। दूसरी तरफ डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी भी हैं। जो तुरंत मुद्दे पर आ जाते हैं और 30 सेकंड में सबकुछ संक्षेप में बता देते हैं
अपनी बहन तथा कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा “मेरी बहन ने मुझसे कहा था कि मैं आग से खेल रहा हूँ, मैंने कहा कि मुझे पता है कि मैं आग से खेल रहा हूँ और आग से खेलता रहूँगा। अब हम ठीक इसी स्थिति से जूझ रहे हैं। सत्तारूढ़ विचारधारा काफी हद तक कायरता पर आधारित है। आखिरकार, आपमें से ज्यादातर लोगों की तरह, मैं भी आग में ही फँस जाऊँगा। मेरे परिवार ने मुझे सिखाया है कि कायरों से मत डरो।