
Space News: अनु सैनी। पृथ्वी लगातार अपनी धुरी पर घूमती रहती है। यही घूमना हमारे दिन-रात और मौसम के बदलाव का कारण है। एक पूरा घूर्णन 24 घंटे में पूरा होता है, जिसे हम “एक दिन” मानते हैं। लेकिन ज़रा कल्पना कीजिए, अगर एक पल के लिए – सिर्फ 5 सेकंड के लिए – यह घूर्णन रुक जाए तो क्या होगा? जवाब डरावना है और मानवीय सभ्यता के लिए किसी भयानक आपदा से कम नहीं।
क्या होता है जब पृथ्वी रुक जाती है? Space News
पृथ्वी पर मौजूद हर चीज़ – पानी, हवा, पेड़, इमारतें और इंसान पृथ्वी की गति के साथ घूम रहे होते हैं। पृथ्वी अचानक रुक गई, तो ये सारी चीज़ें अपनी मौजूदा गति (momentum) से आगे बढ़ती रहेंगी। इसका असर बिल्कुल वैसा होगा, जैसे चलती गाड़ी अचानक ब्रेक मारे और उसमें बैठे लोग हवा में उछल जाएं। लेकिन यहां मामला सिर्फ एक गाड़ी नहीं, पूरी पृथ्वी का है!
हवा मचाएगी कोहराम
पृथ्वी की भूमध्य रेखा (Equator) पर इसकी घूमने की रफ्तार लगभग 1670 किलोमीटर प्रति घंटा होती है। अब कल्पना कीजिए कि इसी रफ्तार से हवाएं चलने लगें – यह किसी भी सुपर टाइफून से कई गुना तेज होगी। ये हवाएं अफ्रीका, ब्राजील और इंडोनेशिया जैसे क्षेत्रों को पूरी तरह तबाह कर देंगी। बड़े-बड़े पेड़ उखड़ जाएंगे, इमारतें गिर जाएंगी और इंसान हवा में उड़ सकते हैं। इतनी तेज हवा किसी भी संरचना को टिकने नहीं देगी।
समुद्रों का प्रकोप: सुनामी और जलप्रलय
पृथ्वी अपनी घूर्णन की वजह से थोड़ा चपटी (oblate) होती है, खासकर भूमध्य रेखा पर। अगर पृथ्वी रुक गई, तो यह फिर से गोल आकार लेने लगेगी। इससे भूमध्य रेखा पर इकट्ठा पानी ध्रुवों की ओर बहने लगेगा। इसका नतीजा होगा भयानक सुनामी, जो समुद्र के किनारों पर बसे शहरों और गांवों को पूरी तरह निगल सकती है। समुद्र का पानी तटों पर तबाही मचाएगा और जीवन संकट में पड़ जाएगा।
दो ही जगह थोड़ी राहत: ध्रुवीय क्षेत्र
पृथ्वी के उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवों पर घूमने की गति बहुत कम होती है। अगर धरती रुक भी जाए, तो इन इलाकों में हवाओं का असर कम होगा। इसलिए ये क्षेत्र थोड़ी राहत दे सकते हैं, लेकिन ये राहत भी स्थायी नहीं होगी, क्योंकि जलवायु, भोजन और ऊर्जा की आपूर्ति यहां भी लंबे समय तक संभव नहीं रहेगी।
अगर पृथ्वी धीरे-धीरे रुकने लगे? Space News
अगर घूर्णन धीरे-धीरे बंद हो तो भी जीवन मुश्किल में पड़ जाएगा। दिन और रात का समय बढ़ने लगेगा और एक दिन ऐसा आएगा जब 6 महीने दिन और 6 महीने रात होगी – जैसा कि हम ध्रुवों में देखते हैं। इससे गर्मी और सर्दी का संतुलन बिगड़ जाएगा। फसलों की पैदावार, इंसानों की नींद, जानवरों का व्यवहार – सब कुछ गड़बड़ा जाएगा। धीरे-धीरे धरती जीवन के लिए अनुकूल नहीं रहेगी।
विज्ञान क्या कहता है?
पृथ्वी का घूर्णन कोई अचानक शुरू हुई प्रक्रिया नहीं है। वैज्ञानिक मानते हैं कि करीब 4 अरब साल पहले, जब ग्रहों का निर्माण हो रहा था, तब गैस और धूल के कणों के आपसी टकराव से पृथ्वी को घूमने की गति मिली। तभी से यह घूमती आ रही है। अगर यह गति अचानक रुक जाए, तो वह एक प्राकृतिक महाविनाश होगा, जिसकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता।
धरती का रुकना सिर्फ एक ख्याल नहीं, बल्कि मानव सभ्यता के अंत की शुरुआत हो सकती है। भले ही यह सिर्फ 5 सेकंड के लिए क्यों न हो, लेकिन इसका असर पूरी दुनिया पर तबाही बनकर टूटेगा। हवा, पानी और धरती – तीनों तत्व बेकाबू हो जाएंगे और जो बचेगा, वह सिर्फ मलबा और खामोशी होगी।