Sonipat Lok Sabha Election 2024: सोनीपत की चुनावी जंग में कौन होगा सरताज? जानें क्या है समीकरण

Sonipat Lok Sabha Election 2024
Sonipat Lok Sabha Election 2024: सोनीपत की चुनावी जंग में कौन होगा सरताज? जानें क्या है समीकरण

Sonipat Lok Sabha Election 2024: अजीतराम बंसल/हेमंत कुमार सोनीपत। हरियाणा की सियासत में अहम् स्थान रखने वाली सोनीपत लोकसभा सीट पर सभी की निगाहें टिकी हैं। 1977 में अस्तित्व में आए सोनीपत संसदीय क्षेत्र से भाजपा ने जहां मोहनलाल बड़ौली को मैदान में उतारा है। वहीं कांग्रेस ने सतपाल ब्रहम्चारी को पार्टी प्रत्याशी बनाया है। हालांकि इससे पहले दो बार भाजपा प्रत्याशी रमेश कौशिक विजयी पताका फहरा चुके हैं। संयोगवश रमेश कौशिक हविपा के टिकट पर गन्नौर से और कांग्रेस के टिकट पर राई से विधायक रह चुके हैं। जबकि मोहनलाल बड़ौली वर्तमान में राई से विधायक हैं। इस बार कांग्रेस से सतपाल ब्रह्मचारी, भाजपा से मोहन लाल बड़ौली, जजपा से भूपेन्द्र मलिक और इनेलो से पूर्व एसपी अनूप सिंह दहिया अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। अब देखना दिलचस्प होगा कि मतदाता किसकी झोली में विजय डालते हैं।

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2019 तक ये बने सांसद | Sonipat Lok Sabha Election 2024

सोनीपत संसदीय सीट 1977 में अस्तित्व में आने के बाद पहले चुनाव में मुख्तार सिंह मलिक ने बीएलडी के टिकट पर, देवीलाल ने 1980 में जेएनपी के सिंबल पर, 1984 में कांग्रेस के धर्मपाल मलिक ने, 1989 में जनता पार्टी के कपिलदेव शास्त्री, 1991 में कांग्रेस के धर्मपाल मलिक ने बाजी मारी। एचएलडी से एक बार भाजपा के टिकट पर दो बार यानि लगाातर तीन बार सांसद बनने का गौरव किशन सिंह सांगवान को रहा। सांगवान भी गोहाना के विधायक रह चुके थे। कांग्रेस के जितेन्द्र मलिक जो कैलाना के विधाायक रहे और 2009 में सांसद बने, भाजपा के टिकट पर लगातार दो बार 2014 और 2019 में रमेश कौशिक संसद में पहुंचे। जबकि 1996 में निर्दलीय के रूप में अरविंद शर्मा सांसद चुने गए थे।

ग्रामीण मतदाताओं पर फोक्स

भाजपा को शहरी और कांग्रेस का ग्रामीण पार्टी माना जाता था। लेकिन अब इसमें भी काफी बदलाव दिख रहा है। भाजपा जहां गांवों तक पहुंची है तो कांग्रेस ने भी शहरों पर पकड़ मजबूत की है। क्योंकि गांव के बड़ी संख्या में लोग शहरों में रहने लगे।

प्रचार करने के ढंग बदले | Sonipat Lok Sabha Election 2024

जिस प्रकार पहले चुनाव प्रचार किया जाता था उसमें एक-दूसरे के निकट आने-जाने की भावना पैदा होती थी। लेकिन अब पहले वाला ट्रेंड बदल गया है। संसाधनों की कमी के चलते प्रत्याशी अपने संसदीय क्षेत्र के गांवों में पांच साल में भी एक बार नहीं पहुंच पाता था। अब संसाधनों की कोई कमी न होने के कारण प्रत्याशी अल्प समय में भी सभी गांवों और शहरों में जनसभाएं कर रहे हैं। राष्ट्रीय स्तर के नेता दो-तीन राज्यों में पहुंच कर रैलियां कर रहे हैं, ये संसाधनों के कारण संभव हो सका है।

9 विधानसभा शामिल

9 विधानसभा सीटों वाले संसदीय क्षेत्र से मात्र दो बार दूसरे लोकसभा क्षेत्र के व्यक्ति सरसा जिले के चौधरी देवीलाल ने 1980 में जीत हासिल की थी। तो एक बार झज्जर निवासी वर्तमान में रोहतक के सांसद अरविंद शर्मा ने बतौर आजाद प्रत्याशी चुनाव जीता था। अबकी बार देखने की बात है कि क्या तीसरी बार सोनीपत जिला से बाहर का सांसद चुना जाएगा। हालांकि सतपाल ब्रह्मचारी भले जीन्द जिले से संबंध रखते हों, लेकिन ये सोनीपत संसदीय क्षेत्र का हिस्सा है। क्योंकि इस क्षेत्र में सोनीपत, गन्नौर, राई, खरखौदा, बरोदा के अलावा जीन्द, जुलाना और सफीदों विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं।

प्रचार में लगाया दमखम | Sonipat Lok Sabha Election 2024

चुनावी प्रचार की बात करें तो भाजपा, कांग्रेस, इनेलो और जजपा प्रत्याशी पूरा जोर लगा रहे हैं। भाजपा के लिए जहां सीएम नायब सिंह सैनी और पूर्व सीएम मनोहर लाल की ताबतोड़ रैलियां व जनसभाएं कर रहे हैं। खुद प्रधानमंत्री ने भी यहां रैली की है। वहीं कुछ नेताओं के प्रचार से दूरी बनाने की बातें भी सामने आ रही हैं। अब अगर बात कांग्रेस की करें तो पूर्व सीएम भूपेन्द्र सिंह हुड्डा, प्रदेश अध्यक्ष उदयभान और प्रदेश प्रभारी दीपक बावरिया जी-जान से प्रचार में जुटे हैं। पार्टी का कोई राष्टÑीय नेता यहां आएगा या नहीं इस पर संशय बना हुआ है। जजपा की ओर से पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला प्रचार की कमान संभाले हुए हैं।

मुद्दों पर चुनाव

25 मई को होने वाला लोकसभा आम चुनाव पहले के 12 चुनाव से अलग है। लोकसभा के पहले चुनावों में एकाध को छोड़कर क्षेत्र में विकास के मुद्दों पर होते थे। पहले किसी भी दल का प्रत्याशी प्रत्येक गांव में नहीं जा पाता था। अब समय बदल गया है, प्यासे के पास कुंआ चलकर आ रहा है। यानि गांव में ही नहीं मतदाता के घर में दस्तक देने का ट्रेंड बढ़ता जा रहा है। लोग अब भ्रष्टाचार, महंगाई, बेरोजगार, विकास न होना और अपराधिक मामले बढ़ने को बड़ा मुद्दा मान रहे हैं।

प्रचार करने के ढंग बदले

जिस प्रकार पहले चुनाव प्रचार किया जाता था उसमें एक-दूसरे के निकट आने-जाने की भावना पैदा होती थी। लेकिन अब पहले वाला ट्रेंड बदल गया है। संसाधनों की कमी के चलते प्रत्याशी अपने संसदीय क्षेत्र के गांवों में पांच साल में भी एक बार नहीं पहुंच पाता था। अब संसाधनों की कोई कमी न होने के कारण प्रत्याशी अल्प समय में भी सभी गांवों और शहरों में जनसभाएं कर रहे हैं। राष्ट्रीय स्तर के नेता दो-तीन राज्यों में पहुंच कर रैलियां कर रहे हैं, ये संसाधनों के कारण संभव हो सका है।

ग्रामीण मतदाताओं पर फोक्स

भाजपा को शहरी और कांग्रेस का ग्रामीण पार्टी माना जाता था। लेकिन अब इसमें भी काफी बदलाव दिख रहा है। भाजपा जहां गांवों तक पहुंची है तो कांग्रेस ने भी शहरों पर पकड़ मजबूत की है। क्योंकि गांव के बड़ी संख्या में लोग शहरों में रहने लगे हैं।
1 भाजपा प्रत्याशी मोहनलाल बडौली
2 जजपा का भूपेन्द्र मलिक
3 कांग्रेस प्रत्याशी सतपाल ब्रह्मचारी
4 इनेलो प्रत्याशी पूर्व एसपी अनूप सिंह दहिया