पानी बचाने की मुहिम के लिए केंद्र सरकार का बड़ा प्रयास
नई दिल्ली (सच कहूँ न्यूज)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जल संरक्षण से जुड़े अभियानों में जनता और सामाजिक संगठनों को साथ लाने की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि किसी भी अभियान में जनता के जुड़ने से उसमें अभियान के प्रति ‘सेंस आॅफ ओनरशिप’ आती है और ये सफलता की पहली कुंजी है। मोदी ने अपनी इस बात के समर्थन में ‘स्वच्छता अभियान’ का उदाहरण भी दिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि इसी अभियान की तरह अब जल संरक्षण के प्रति भी जनभागीदारी की सोच जनता में जगानी है। इसी क्रम में उन्होंने कहा कि जलजागरुकता महोत्सव आयोजित किए जा सकते हैं। साथ ही स्थानीय मेलों में पानी की जागरुकता के लिए कई प्रयास किए जा सकते हैं।
वहीं पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने 20 अक्तूबर को पृथ्वी पर बढ़ते जल संकट को लेकर चिंता व्यक्त करते हुए फरमाया कि आज सबसे ज्यादा पानी को बचाने पर फोकस करने की जरूरत है। आओ हम उस पानी को बचाएं, जो जीवन देता है, शरीर में जिसकी सबसे ज्यादा मात्रा है। आज के बाद आप जब भी पानी बर्बाद करोगे तो सोचोगे जरूर कि गुरू जी ने रोका हुआ है। तो हमें लगता है कि अगर हमारे छह करोड़ बच्चे भी ये पहल कर लेंगे तो सृष्टि के लिए बहुत-बहुत बड़ी पहल होगी। इस पर देश-विदेश में आॅनलाइन बैठी साध-संगत ने एक साथ हाथ खड़े करके पानी को बचाने का संकल्प लिया। इस पर पूज्य गुरू जी ने साध-संगत को अपने आशीर्वाद से नवाजा।
मोदी ने की सामाजिक संस्थाओं व संगठनों से बड़ी अपील
उन्होंने कहा कि किसी भी कार्य मेंं सरकार के अकेले प्रयास से सफलता नहीं आती। जल संरक्षण से जुड़े अभियानों में भी जनता, सामाजिक संगठन और सिविल सोसाइटी को जोड़ना होगा। उन्होंने कहा कि जनभागीदारी का एक और पक्ष भी है। कुछ लोग सोचते हैं कि जनभागीदारी से सरकार की जिम्मेदारी कम हो जाती है। पर ऐसा नहीं है। जनभागीदारी का बड़ा लाभ ये है कि जनता को भी पूरी प्रक्रिया में लगी मेहनत पता चलती है। अभियान में जनता जुड़ती है तो नागरिकों में ‘सेंस आॅफ ओनरशिप’ भी आती है, जो सफलता की सबसे बड़ी कुंजी है।
उन्होंने कहा कि ‘स्वच्छ भारत अभियान’ इसका बड़ा उदाहरण है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इसी अभियान की तरह अब जल संरक्षण के प्रति भी जनभागीदारी की सोच जनता में जगानी है। इसी क्रम में उन्होंने कहा कि जलजागरुकता महोत्सव आयोजित किए जा सकते हैं। साथ ही स्थानीय मेलों में पानी की जागरुकता के लिए कई प्रयास किए जा सकते हैं। उन्होंने इस कार्य से नई पीढ़ी को जोड़ने का भी आग्रह किया। मोदी ने कहा कि इंडस्ट्री और खेती दोनों ही क्षेत्रों को पानी की आवश्यकता होती है। इन दोनों ही क्षेत्रों से जुड़े लोगों में विशेष अभियान चलाकर जल सुरक्षा के प्रति जागरुकता लानी होगी।
पानी बचाने के लिए अपने पूरा जोर लगाएंगे: पूज्य गुरु जी
आपजी ने फरमाया कि आज जो प्रण किया है, कोशिश करें कि इसको एक मुहिम का रूप दे दें, इसका एक नाम देंगे। पानी बचाने के लिए अपने पूरा जोर लगाएंगे, पूरे वर्ल्ड में संदेश भिजवाएंगे, हर तरीके से कोशिश करेंगे, सबकी मदद लेंगे चाहे वो किसी भी रूप में दें और हम पानी बचाने के लिए एक आंदोलन चलाएं कि पानी को बचाया जा सके। आज आपने जल बचाने का जो संकल्प लिया है तो हम परमपिता परमात्मा से दुआ, प्रार्थना करते हैं कि पानी भी आपको बचाए, आपके लिए पानी ही दवा का काम कर जाए, सुमिरन करके, भक्ति-इबादत करके आप शुद्ध पानी पीजिये और मालिक के गुण गाइये। कम से कम चार-पाँच लीटर तो जरूर पिया करें।
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