गुरुग्राम: महिलाओं के सशक्तिकरण से ही परिवार सशक्त होगा: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू

बोलीं, बच्चों को इंजीनियर डॉक्टर बनाने के साथ अच्छे संस्कार भी दें माताएं

  • बिना डिग्री के ही ऋषि, मुनियों ने भारत को बनाया था विश्व गुरू

गुरुग्राम। (संजय कुमार मेहरा) भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि हमें देश की महिलाओं को सशक्त करना होगा। महिलाओं के शक्तिकरण से परिवार सशक्त होगा। परिवार से सशक्त समाज, सशक्त समाज से सशक्त भारत बनेगा। इस तरह से एक दिन फिर से भारत विश्व गुरू बनेगा। राष्ट्रपति गुरुवार को गुरुग्राम जिला के गांव बोहड़ाकलां स्थित ब्रह्मकुमारीज के ओम शांति रिट्रीट सेंटर में राष्ट्रीय सम्मेलन-वीमेन एज फाउंडेशन ऑफ ए वैल्यूएबल सोसायटी के शुभारंभ अवसर पर बोल रहीं थी। इस कार्यक्रम में राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय, मुख्यमंत्री मनोहर लाल, केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह भी मौजूद रहे। हरियाणा में पहुंचने पर राज्यपाल, मुख्यमंत्री ने राष्ट्रपति का स्वागत किया।

यह भी पढ़ें:– कुश्ती में आंसू ने जीता कांस्य पदक

अपने संबोधन की शुरुआत में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्म ने कहा कि मैं ब्रह्मकुमारी संस्थान को बहुत करीब से जानती हूं। इसे अपना घर समझती हूं। इस साल की शुरुआत में उन्हें माउंट आबू ब्रह्मकुमारी संस्थान में जाने का अवसर मिला था। असीम शांति की अनुभूति हुई। राष्ट्रपति ने आगे कहा कि महिला शक्ति ने भारतीय समाज में मूल्यों और नैतिकता को स्थापित करने में अहम भूिमका निभाई है। यह सत्य है कि भारत में महिलाओं को बेहतर सम्मान दिया गया था।

हमारे वेदों, उपनिषदों, पुराणों, महाकाव्यों में महिलाओं की स्तुति, ज्ञान, करुणा का बखान किया गया है। उन्होंने कहा कि गांधी जी की प्ररेणा स्रोत कस्तूरबा गांधी की भी अहम भूमिका रही। गांधी जी ने पुस्तक में भी लिखा था कि उन्होंने अहिंसा का पाठ अपनी पत्नी से सीखा। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा, उन्हें प्रसन्नता है कि ब्रह्मकुमारीज ने नारी शक्ति को केंद्र में रखा है। भारतीय मूल्यों को पुनर्जिवित करने का प्रयास किया जा रहा है। दुनिया के 140 देशों में आध्यात्मिकता, भारत की संस्कृति परंपरा को आगे बढ़ाया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि इन दिनों में हमारे सामाजिक जीवन में प्रतिस्पर्धा बढ़ती जा रही है। आज का आदमी पैसा और प्रतिष्ठा के पीछे भाग रहा है। आर्थिक मजबूत होने में कोई बुराई नहीं है, लेकिन केवल पैसे के लिए जीवन जीना भी सही नहीं है। उन्होंने कहा कि इंद्रियों का सुख व आंतरिक आनंद एक समान नहीं होते। आर्थिक प्रगति को हम सुख नहीं मान सकते।राष्ट्रपति ने कहा कि हमारी माताओं के मार्गदर्शन में आनंद व शांति की खोज परिवारों में शुरू होने चाहिए। बेटियों, महिलाओं को जब भी समान अवसर मिले हैं, उन्होंने सिद्ध करके दिखाया है कि वह पुरुषों के बराबर नहीं बल्कि उनसे बेहतर प्रदर्शन कर सकती हैं।

महिलाओं ने विज्ञान, खेल, कला, राजनीतिक नेतृत्व के साथ चिकित्सा, इंजीनियरिंग आदि अनेक क्षेत्रों में कीर्तिमान स्थापित किए हैं। राष्ट्रपति ने कई प्रभावशाली महिलाओं का नाम लेकर महिलाओं की शक्ति से अवगत कराया। उन्होंने चिपको आंदोलन में महिलाओं की भूमिका का जिक्र करते हुए कहा कि विपरीत परिस्थितियों में भी भारतीय महिलाओं ने अनुकरणीय कार्य किए हैं। देश में असंख्य महिलाएं बिना किसी डिग्री के ही उत्कृष्ट कार्य कर रही हैं। महिला सशक्तिकरण के सामाजिक व आर्थिक दोनों पहलू हैं।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि आज भारत विश्व की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। बड़ी आर्थिक महाशक्ति के रूप में आगे बढ़ रहा है। एक हकीकत यह भी है कि भारतीय कंपनियों में केवल 7 प्रतिशत महिलाएं ही अच्छी पोजिशन पर हैं। निजी सेक्टर में महिलाएं कम हैं। इसका मुख्य कारण उनका पारिवारिक दायित्व है। बकौल राष्ट्रपति, मैं देखती हूं कि कामकाजी महिलाएं कार्य के साथ घर की जिम्मेदारी भी बेहतरी से उठा रही हैं। उन्होंने कहा कि घर की जिम्मेदारी केवल महिलाओं की नहीं है। इस सोच को बदलने की जरूरत है। महिलाओं को परिवार से सहयोग मिलना चाहिए, ताकि वे बिना किसी बाधा के अपने कैरियर में बेहतर कर सकें।

उन्होंने कहा कि भारत इस वर्ष जी20 समूह की अध्यक्षता कर रहा है। उन्हें विश्वास है कि भारत द्वारा जी20 फोरम में महिला शकितकरण को बढ़ावा देने के लिए रेखाकिंत किया जाएगा। राष्ट्रपति ने प्रकृति के संरक्षण पर जोर देते हुए कहा कि एक मां कभी अपने बच्चों में भेदाभव नहीं करती। हमारे यहां प्रकृति को भी मदर नेचर कहा जाता है। भारत की परमंरा में परिवार को सबसे अधिक महत्व दिया जाता है। आदर्श ग्रामीण संयोजन से आदर्श जनपद और आदर्श जनपद से आदर्श राष्ट्र बनता है।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि आज के समय में माताएं अपने बच्चों को एक आदर्श जीवन के बारे में नहीं बतातीं, जबकि यह बताना प्राथमिकता है। आज बच्चों को बचपन से ही डॉक्टर, इंजीनियर बनाने के लिए तैयार किया जाता है। माताओं को चाहिए कि वे अपनी संतान को एक अच्छा इंसान बनने की प्रेरणा दे। हमारे बच्चे अच्छे डॉक्टर इंजीनियर बनें, लेकिन वो सेना के लिए बनें, देश को आगे बढ़ाने के लिए इंजीनियर बनें। वैज्ञानिक बनें। उन्होंने कहा कि माताओं के प्रयासों से परिवार आदर्श परिवार बन सकता है। यदि परिवार आदर्श बन जाए तो परिवार का स्वरूप बदल जाएगा।

राष्ट्रपति ने कहा कि परिवार में पहली शिक्षक हमारी मां होती है। मां शास्त्रों, पुराणों से बच्चों को परिचित कराती हैं। हमारे यहां सीता, सावित्री के उदाहरण दिए जाते हैं। पितृ भक्ति के रूप में श्रवण कुमार का नाम लिया जाता है। राष्ट्रपति ने कहा कि शरीर को प्रज्जवलित रखने के लिए देश-विदेश से नई चीजें आती हैं, लेकिन आत्मा के लिए खुद के अंदर भगवान ने शक्ति दी है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि वे पुनर्जन्म में विश्वास रखती हैं।

उन्होंने पर्यावरण संरक्षण, धरती का संरक्षण करने की प्रेरणा देते हुए कहा कि हम धरती को माता कहते हैं। लेकिन धरती के साथ क्या-क्या करते हैं। ब्लास्टिंग करते हैं। फिर भी मां माफ करती है। हमारी धरती माता को भी बहुत सहना पड़ता है। लेकिन सहने की भी एक सीमा होती है। आज हम पर्यावरण, गलोबल वार्मिंग में फंसे हैं। आज क्या-क्या हो रहा है। तुर्की में भूकंप से 11 हजार लोग मारे गए। लेकिन यह तो होना है। इसका कारण हम ही हैं। आज पहाड़ खत्म हो गये हैं।

पहाड़ तोड़कर रास्ते बना लिये हैं। पेड़ों से फर्नीचर और ना जाने क्या-क्या बना रहे हैं। भगवान से संतुलन बनाया था। पंचतत्व का शरीर ऐसे नहीं जी सकता। पानी, पहाड़, पेड़, नदी, झरना, समुंद चाहिए। उन्होंने कहा कि आज सभी माताएं रो रही हैं। खुद की माता रो रही है। गंगा, गौ माता रो रही है। सभी माताएं दुखी हैं। जब माता दुखी होती है तो काली का रूप धारण करती हैं। इसलिए अभी भी समय बाकी है। सब लोगों को सजग होना पड़ेगा।

राष्ट्रपति ने कहा कि इसका दायित्व, जिम्मेदारियों माताओं को लेनी पड़ेगी। क्योंकि माता को भगवान ने सहनशीलता, धैर्य रखने की शक्ति दी है। बोझ उठाने, माता बनने की शक्ति दी है। अभी शांति बनाने की शक्ति, सुख शांति अनंद प्रेम फैलाने की शकित हमें अपने हाथों में लेनी चाहिए। उन्होंने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि आज ब्रह्मकुमारी बहनें 142 देशों में जाकर यह मैसेज देंगी। उन्होंने कहा कि केवल अकेले चलने से कुछ नहीं होगा। विश्व को भी सुख, शांति, आनंद का रास्ता अपनाना होगा। जिंदगी जीने की शैली जाननी जरूरी है। भारत चलने को संविधान है। स्कूल चलाने के लिए शिक्षक हैं, लेकिन खुद को चलाने के लिए कुछ नहीं। उन्होंने कहा कि सुंदर चेहरा नहीं रहने वाला। जो रहेगा, उसको भी संभालो।

राष्ट्रपति ने कहा कि हम आकाश में उडऩे वाले हैं। पानी में घुसने वाले हैं। विज्ञान में गोल्ड मेडलिस्ट हैं। सही मायने में हम अपने जीवन की असली चीजों से अनजान हैं। इसलिए चिंता कीजिये, निरीक्षण कीजिये कि हम किस तरफ जा रहे हैं। उन्होंने फिर दोहराया कि जिंदगी जीने के लिए एक मकान, 7 फिट की खटिया, दो कपड़ा, दो रोटी चाहिए। एक उम्र के बाद तो दो रोटी से ज्यादा पेट खराब हो जाता है।

बेटियों को सम्मान देने का संदेश देते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि बेटी परी होती है। लक्ष्मी होती है। जब वह हंसती है, हम भी हंसते हैं। जब वह खेलती है, हम भी खेलते हैं उसके साथ। कभी-कभी उसे किसी की नजर लग जाती है। ऐसी दृष्टि को ठीक करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि आज चाल, चलन, चेहरा को ठीक करना होगा। कार्यक्रम की शुरुआत में गायिका साधना सरगम ने गीत-वंदे मातरम बोलिये दिल से बारम्बार, नारी है तू जगत में शक्ति का अवतार…गाया।

अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और TwitterInstagramLinkedIn , YouTube  पर फॉलो करें।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here