OMG News अनु सैनी| पुरातत्वविदों ने हाल ही में एक ऐसी महिला के कंकाल के अवशेष खोजे हैं, जो करीब 71000 साल पहले जीवित थी। यह खोज चीन के एक प्राचीन पुरातात्विक स्थल शिंगयी में हुई। इस महिला को वैज्ञानिकों ने “Shingyi_EN” नाम दिया है। उसके डीएनए ने वैज्ञानिकों के सामने एक नए और रहस्यमयी मानव वंश के दरवाज़े खोल दिए हैं, जो अब तक पूरी तरह अज्ञात था।
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कहां मिला यह अनमोल कंकाल? OMG News
यह अवशेष नवपाषाण काल से संबंधित हैं और शिंगयी पुरातात्विक स्थल (चीन) से प्राप्त हुए हैं। अध्ययन के अनुसार, यह महिला एक शिकारी और संग्रहकर्ता जीवनशैली जीती थी। जब वैज्ञानिकों ने उसके डीएनए और आहार पर आइसोटोप विश्लेषण किया, तो पता चला कि उसका वंश वर्तमान तिब्बतियों में पाए जाने वाले ‘घोस्ट वंश’ से मिलता है।
क्या होता है ‘घोस्ट वंश’?
‘घोस्ट वंश’ से आशय ऐसे मानव समूहों से है जिनके कंकाल तो नहीं मिले, लेकिन उनके जीन के संकेत आज भी कुछ मानव समुदायों में मौजूद हैं। इनके अस्तित्व के प्रमाण केवल डीएनए विश्लेषण से मिलते हैं। शिंगयी_ईएन का वंश निएंडरथल या डेनिसोवन जैसे पुराने मानव समूहों से भी नहीं जुड़ता, बल्कि यह एक बिल्कुल अलग और नया वंश है, जिसे अब वैज्ञानिकों ने नाम दिया है – बेसल एशियन शिंगयी वंश।
तिब्बती वंश की जड़ें हो सकती हैं इससे जुड़ी
तिब्बती पठार पर रहने वाले लोगों की उत्पत्ति को लेकर अब तक कई सवाल उठते रहे हैं। पूर्व के अध्ययनों में यह बात सामने आई थी कि तिब्बतियों में एक ऐसा वंश मौजूद है जिसका कोई ठोस कंकाल प्रमाण नहीं मिला — और यही ‘घोस्ट वंश’ अब शिंगयी_ईएन की मदद से वैज्ञानिकों की समझ में आने लगा है।
क्यों है यह खोज बेहद अहम? OMG News
- यह वंश हजारों साल तक अन्य मानव समूहों से पूरी तरह अलग रहा।
- इसमें किसी भी अन्य प्रजाति के साथ कोई आनुवंशिक मिश्रण नहीं पाया गया।
- यह खोज यह संकेत देती है कि पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया की प्राचीन आबादी को समझने की कुंजी शायद इन्हीं रहस्यमयी लोगों के पास है।
- अध्ययन से यह भी पता चला कि शिंगयी_ईएन के जैसे और लोग भी हो सकते हैं, लेकिन अभी उनके अवशेष वैज्ञानिकों के हाथ नहीं लगे हैं।
आगे की रिसर्च की आवश्यकता
हालांकि यह अध्ययन सिर्फ एक व्यक्ति के डीएनए पर आधारित है, लेकिन इससे भविष्य में मानव विकास और वंशावली के कई अनसुलझे रहस्यों को जानने की उम्मीद जगी है। वैज्ञानिक मानते हैं कि इस दिशा में और अधिक खोज और विश्लेषण की जरूरत है ताकि हम तिब्बती जनजातियों और उनके रहस्यमयी पूर्वजों को और गहराई से समझ सकें।
निष्कर्ष:-
शिंगयी_ईएन की यह ऐतिहासिक खोज हमें मानव विकास की एक नई दिशा में ले जा रही है। यह केवल एक कंकाल नहीं, बल्कि पुरातत्व और आनुवंशिकी के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी खोज है, जिसने हमें यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि इंसानी इतिहास जितना दिखता है, शायद उससे कहीं अधिक गहरा और रहस्यमयी है।