Narendra Modi’s Emergency Diaries: नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर अपनी भूमिका और अनुभवों से जुड़ी पुस्तक ‘द इमरजेंसी डायरीज’ (The Emergency Diaries) को सार्वजनिक किया है। उन्होंने इस पुस्तक को सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर साझा किया और आपातकाल के दौरान के अपने व्यक्तिगत अनुभवों को याद किया। प्रधानमंत्री ने कहा, “आपातकाल के समय मैं एक युवा स्वयंसेवक था। उस दौर में मैंने आपातकाल विरोधी आंदोलन से बहुत कुछ सीखा। यह अनुभव हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के महत्व को समझने में सहायक रहा। मुझे विभिन्न विचारधाराओं वाले लोगों से संवाद और सहयोग करने का अवसर भी मिला।” Narendra Modi News
मोदी ने यह भी बताया कि ब्लूक्राफ्ट डिजिटल फाउंडेशन द्वारा इस पुस्तक को प्रकाशित किया गया है, जिसकी प्रस्तावना पूर्व प्रधानमंत्री एच. डी. देवेगौड़ा ने लिखी है। देवेगौड़ा स्वयं उस समय आपातकाल के विरुद्ध सक्रिय रूप से खड़े हुए नेताओं में से एक थे। प्रधानमंत्री ने युवाओं से अपील करते हुए कहा, “जो लोग उन काले दिनों के साक्षी रहे हैं या जिनके परिवारों ने उस समय अत्याचार सहे हैं, वे अपने अनुभव सोशल मीडिया पर साझा करें। इससे नई पीढ़ी को उस दौर की भयावहता और लोकतंत्र पर पड़े प्रभाव की जानकारी मिलेगी।”
”आपातकाल के दौरान संविधान को अनदेखा किया गया” | Narendra Modi News
इस पुस्तक में 25 जून 2024 को प्रधानमंत्री द्वारा दिए गए उस वक्तव्य का भी उल्लेख है, जिसमें उन्होंने कहा था कि “भारत की युवा पीढ़ी को कभी नहीं भूलना चाहिए कि कैसे आपातकाल के दौरान संविधान को अनदेखा किया गया, लोकतंत्र को रौंद दिया गया और पूरे देश को एक खुली जेल में बदल दिया गया था।” पुस्तक में आगे बताया गया है कि 1970 के दशक के मध्य में जब भारत में आपातकाल लागू किया गया, उस समय मोदी एक युवा प्रचारक के रूप में भूमिगत होकर तानाशाही शासन के विरोध में सक्रिय रहे। वह उन चुनिंदा कार्यकर्ताओं में शामिल थे जो लोकतंत्र की रक्षा के लिए जोखिम उठाने से पीछे नहीं हटे।
यह पुस्तक उन अनकहे अनुभवों, गुप्त गतिविधियों और कठिन संघर्षों को उजागर करती है, जिनके माध्यम से मोदी ने उस समय लोकतंत्र की बहाली के लिए कार्य किया। पुस्तक यह भी दर्शाती है कि कैसे उन्होंने खतरों से बचते हुए, भूमिगत रहकर और संगठनात्मक कार्यों के माध्यम से जनजागरण किया।
इसके अतिरिक्त, मोदी की आत्मकथा ‘संघर्ष मा गुजरात’ और अन्य स्रोतों से ली गई जानकारियों के आधार पर इस पुस्तक में उनके जीवन के उस अध्याय को प्रस्तुत किया गया है, जिसने उनके व्यक्तित्व और विचारधारा को आकार दिया। यह पुस्तक न केवल लोकतांत्रिक संस्थाओं की रक्षा के लिए हुए संघर्ष की कहानी है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि कैसे दृढ़ संकल्प, संगठनात्मक समझ और संविधान के प्रति आस्था ने एक युवा कार्यकर्ता को आगे चलकर देश के सर्वोच्च पद तक पहुंचाया। Narendra Modi News
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