मधुर वाणियां रस भरी, बोल रहे हैं कांव…

Poim
Poim मधुर वाणियां रस भरी, बोल रहे हैं कांव...

बदले इस माहौल में, बदल गए हैं भाव।
मधुर वाणियां रस भरी, बोल रहे हैं कांव।
बोल रहे हैं ‘कांव’, कि कोयल वक्त विचारे,
उजड़े हैं बागान, कि कैसे कहां उच्चारें!
ये है नीरस नेह बिन, काले-काले गदले।
ये बदले बारूद के ‘बघियाड’ हैं बदले-बदले।