नई दिल्ली। बांग्लादेश में हालिया राजनीतिक घटनाक्रम और वहां बिगड़ती कानून-व्यवस्था को लेकर भारत में भी चिंता और असंतोष की भावना देखी जा रही है। चुनाव की घोषणा के बाद से पड़ोसी देश में हिंसक घटनाओं में वृद्धि हुई है। विशेष रूप से एक अल्पसंख्यक हिंदू युवक की नृशंस हत्या और उसके बाद शव को जलाए जाने की घटना ने व्यापक आक्रोश को जन्म दिया है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इसकी निंदा हो रही है। India News
इन्हीं परिस्थितियों के बीच पूर्व राजनयिक महेश कुमार सचदेव ने बांग्लादेश के मौजूदा हालात पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि 12 फरवरी को प्रस्तावित चुनावों से पहले कुछ समय के लिए दोनों देशों के बीच तनाव की स्थिति बनी रह सकती है, लेकिन दीर्घकाल में भारत और बांग्लादेश के संबंध स्थिर बने रहेंगे। उनके अनुसार, अच्छे पड़ोसी होने का सिद्धांत और मजबूत आर्थिक सहयोग दोनों देशों के रिश्तों को आधार प्रदान करता है।
महेश कुमार सचदेव ने कहा कि भारत और बांग्लादेश का संबंध ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर आधारित है। दोनों ही दक्षिण एशिया का हिस्सा हैं और जनता के स्तर पर आपसी संपर्क और सहयोग गहरा रहा है। वर्तमान में जो चुनौतियां सामने आ रही हैं, वे मुख्यतः राजनीतिक कारणों से उत्पन्न हुई हैं और इन्हें अस्थायी मानकर देखा जाना चाहिए। उन्होंने आशा व्यक्त की कि समय के साथ स्थिति में सुधार होगा। India News
तनाव के संभावित प्रभावों पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि अल्पकाल में परिस्थितियां असहज अवश्य हैं, लेकिन दीर्घकाल में किसी बड़े संकट की संभावना नहीं दिखती। उन्होंने उल्लेख किया कि पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना का लंबे समय तक भारत के प्रति सकारात्मक रुख रहा है। वर्तमान राजनीतिक बदलाव और चुनावी माहौल के कारण कुछ वर्गों द्वारा भारत विरोधी भावनाओं को हवा दी जा रही है, जो निंदनीय और गैर-जिम्मेदाराना है। इससे बांग्लादेश के आंतरिक सामाजिक और धर्मनिरपेक्ष ढांचे को भी क्षति पहुंच रही है।
पूर्व राजनयिक के अनुसार, कुछ राजनीतिक समूह भारत को विरोध का प्रतीक बनाकर अपनी विफलताओं से ध्यान हटाने का प्रयास कर रहे हैं। जनअसंतोष की दिशा बदलने के लिए बड़े पड़ोसी देश पर आरोप मढ़ना एक आसान लेकिन अल्पकालिक उपाय है। वास्तविकता यह है कि बांग्लादेश कई क्षेत्रों में भारत पर निर्भर है और दोनों देशों का सहयोग एक-दूसरे के लिए आवश्यक है।
सुरक्षा से जुड़े पहलुओं पर चिंता व्यक्त करते हुए महेश कुमार सचदेव ने कहा कि बांग्लादेश में उभरती कट्टरपंथी गतिविधियां भारत के लिए चुनौती बन सकती हैं। यह समस्या नई नहीं है, क्योंकि भारत को पिछले कई दशकों में सीमापार आतंकवाद का सामना करना पड़ा है। यदि परिस्थितियां बिगड़ती हैं और बांग्लादेश चरमपंथी तत्वों के लिए सुरक्षित ठिकाना बनता है, तो इसका असर भारत की सुरक्षा पर भी पड़ सकता है। ऐसे में भारत को सतर्कता और दूरदर्शिता के साथ स्थिति पर नजर बनाए रखने की आवश्यकता है। India News















