कैथल जिले में बढने लगे पराली जलाने के मामले, जींद 132 मामलो के साथ हरियाणा में पहले स्थान पर

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Kaithal News कैथल जिले में बढने लगे पराली जलाने के मामले, जींद 132 मामलो के साथ हरियाणा में पहले स्थान पर

कैथल सच कहूं /कुलदीप नैन। जिले में बीते कुछ दिनों में फिर से पराली जलाने के मामले बढने लगे हैं। हालाँकि अबकी बार पिछले साल के मुकाबले बहुत कम मामले आये है | अब जिले में पराली जलाने के मामलों की कुल संख्या 52 हो गई है। कृषि विभाग द्वारा पराली जलाने वाले किसानो के नाम रेड एंट्री में दर्ज किए जाते है और पराली जलाने पर जुर्माना भी किसानों पर लगाया जाता है। जिले में चार नए मामले सामने आये जिनमे 2 कलायत और एक एक राजौंद और पूंडरी में मिला | वहीं जींद में में इस साल पिछले साल के मुकाबले ज्यादा संख्या में पराली जलाने के मामले आ रहे है | हरियाणा में जींद में सबसे ज्यादा फसल अवशेष जलाने के 132 मामले मिले है जबकि दूसरे नम्बर पर फतेहाबाद जिला है जिसमे 75 जगह एएफएल घटनाएं मिली है | जींद में 8 नए मामले सामने आये जिनमे जींद, पिल्लूखेड़ा और उचाना मे दो- दो मामले और सफीदों व जुलाना में एक एक मामला सामने आया है |

कैथल में कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के उपनिदेशक सुरेन्द्र यादव ने कहा कि किसानों को फसल अवशेष न जलाने के लिए लगातार जागरूक किया जा रहा है। जो किसान फसल अवशेष जलाते हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई भी की जा रही है। अब तक हरसेक के माध्यम से 52 पराली जलाने के मामले सामने आए हैं| किसानों को सरकार द्वारा कृषि यंत्र उपलब्ध करवाए जा रहे हैं, ताकि वे फसल अवशेषों का सही से प्रबंधन कर सके।

12 नवम्बर तक के आंकड़े

जिला 2025 2024
जींद 132 112
फतेहाबाद 75 101
कैथल 52 180
कुल (हरियाणा ) 464 1020

पराली के अवशेष ना जलाएं किसान, पुलिस ने खेतों में जाकर किया जागरूक

जिला पुलिस द्वारा पराली जलाने से होने वाले पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के उद्देश्य से गांव-गांव जाकर किसानों को लगातार जागरूक किया जा रहा है। पुलिस की टीमें खेतों में व गांवों में जाकर किसानों से सीधा संवाद कर रही हैं और उन्हें पराली जलाने से होने वाले नुकसान बारे विस्तार से समझा रही हैं। एसपी उपासना ने कहा कि धान की कटाई के बाद खेतों में बची पराली को आग लगाने से वायु प्रदूषण बढ़ता है, जो न केवल मानव स्वास्थ्य बल्कि पशुओं व पर्यावरण के लिए भी बेहद हानिकारक है। उन्होंने बताया कि पराली जलाने से मिट्टी की उर्वरकता घटती है और भूमि की गुणवत्ता पर भी प्रतिकूल असर पड़ता है। टीमों द्वारा किसानों को समझाया जा रहा है कि पराली जलाने से आसपास का वातावरण दूषित होता है और सांस से जुड़ी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। प्रवक्ता ने बताया कि यह मुहिम लगातार जारी रहेगी और पुलिस गांवों, चौपालों व खेतों में जाकर किसानों को जागरूक करती रहेगी।

प्रदूषण का स्तर 250 से उपर पहुंचा

जिले में इन दिनों हवा में प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ा हुआ है। अब भी हवा सामान्य से पांच गुणा ज्यादा जहरीली है। प्रदूषण का जो स्तर 50 से ज्यादा नहीं होना चाहिए वह 250 से कम नहीं आ रहा। इस कारण अस्थमा के मरीजों व बुजुर्गों को सांस लेने में परेशानी हो रही है। अस्पताल में मरीजों की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है। गुरुवार को जिले में प्रदूषण का स्तर (एक्यूआई) 265 रहा। जो प्रदूषण के अधिकतम स्तर (एक्यूआई 50) से पांच गुणा से भी ज्यादा है। वहीं जींद जिले में प्रदूषण का स्तर 333 चल रहा है जोकि बेहद खराब है |

गुरुवार को प्रदूषण का स्तर

समय कैथल जींद
सुबह 8 बजे 258 350
सुबह 10 बजे 256 347
दोपहर 12 बजे 258 344
दोपहर 2 बजे 264 341
शाम 4 बजे 265 333