Mobile Addiction: सभी माता-पिता हो जाओ सावधान, फोन पहुंचा रहा है बच्चों की आंखों को नुकसान, जानें डॉक्टर अभिनव ने क्या कहा…

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Mobile Addiction: सभी माता-पिता हो जाओ सावधान, फोन पहुंचा रहा है बच्चों की आंखों को नुकसान, जानें डॉक्टर अभिनव ने क्या कहा...

Mobile Addiction: बड़ौत संदीप दहिया। घर-घर में बच्चों के हाथों में मोबाइल फोन का बढ़ता उपयोग अब गंभीर स्वास्थ्य संकट का संकेत बन चुका है। बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. अभिनव ने बच्चों के अत्यधिक मोबाइल प्रयोग पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि यदि समय रहते मोबाइल की आदत पर नियंत्रण नहीं किया गया, तो इसके दुष्परिणाम आने वाले वर्षों में बच्चों के विकास पर भारी पड़ सकते हैं। डॉ. अभिनव के अनुसार, लंबे समय तक स्क्रीन पर नजरें टिकाए रखने से बच्चों की सोचने-समझने की क्षमता कम होने लगती है। यह उनकी समस्या हल करने की योग्यता को भी कमजोर कर देता है। बच्चे किसी भी काम पर ठीक से ध्यान नहीं लगा पाते और उनकी एकाग्रता लगातार घटती जाती है। डॉक्टर ने चेतावनी दी कि अत्यधिक स्क्रीन देखने वाले बच्चों में सीखने संबंधी विकार, व्यवहारिक गड़बड़ियाँ और ऑटिज़्म जैसी परेशानियों का खतरा बढ़ जाता है।

उनके मुताबिक, मोबाइल देखने के दौरान बच्चों के दिमाग में डोपामिन नामक रसायन अत्यधिक मात्रा में बनने लगता है, जो उन्हें तुरंत आनंद देता है। यही आनंद धीरे-धीरे आसक्ति में बदल जाता है और बच्चा मोबाइल की आभासी दुनिया में खो जाता है। जब माता-पिता मोबाइल रोकने की कोशिश करते हैं, तो बच्चे चिड़चिड़ापन, गुस्सा और बेचैनी दिखाने लगते हैं। मोबाइल का दुष्प्रभाव केवल मानसिक नहीं, बल्कि शारीरिक भी है। बच्चों में आँखों का नंबर बढ़ना, आँखों का सूखना और लगातार सिरदर्द जैसी समस्याएँ तेजी से बढ़ रही हैं। देर रात तक मोबाइल देखने की आदत बच्चों की नींद को भी प्रभावित करती है, जिससे उनका संपूर्ण विकास बाधित होता है।

डॉ. अभिनव ने सलाह दी कि बच्चों को मोबाइल पर निर्भर करने के बजाय उन्हें अधिक से अधिक बाहरी खेल-कूद, खुली हवा में गतिविधियाँ, दोस्तों के साथ समय बिताने और पारंपरिक मनोरंजन के साधनों से जोड़ना ही बेहतर है। उनका कहना है कि बच्चों क़ो डिजिटल दुनिया से नहीं वास्तविक दुनिया से जोड़ना ही समय की मांग है। उन्होंने बताया कि बच्चों को मोबाइल नहीं, बचपन चाहिए। आज नियंत्रण करेंगे, तभी कल खुशहाल होगा।