गरीबों को ऋण नहीं बचत चाहिए

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विकास विशेषज्ञ रॉबर्ट वोगल ने एक बार कहा था ‘‘ग्रामीण वित्त के आधे भूले भुलाए लोग।’’ और अब संपूर्ण विश्व में इस बात को स्वीकार किया जा रहा है कि व्यक्तिगत वित्त के सबसे बुनियादी साधन छोटे बैंक हैं।

नाजुक समय पर सही वित्तीय साधनों का उपलब्ध होना इस बात का निर्धारण करता है कि क्या गरीब परिवार इस अवसर का उपयोग गरीबी से निकलने के लिए या ऋण के जाल से बचने में कर सकता है या नहीं।

गरीब लोगों को सामान्य बैंकिंग उपायों की आवश्यकता नहीं है। उन्हें ऐसे उपाय चाहिए जो उनकी जटिल वित्तीय स्थिति से उन्हें उभारे। क्योंकि उन्हें निरंतर वित्त और आय की आवश्यकता होती है।

उनकी आय में अंतर को देखते हुए गरीब अक्सर बीमारी या परिवार में मृत्यु या किसी अन्य कारण से उनके परिवार की वित्तीय स्थिति बिगड़ जाती है और कई बार वे अपने घर, मकान और आय के साधनों को भी बेच देते हैं और इन कारणों से उनका परिवार संकट में फंस जाता है। जिसके चलते गरीब दयनीय स्थिति में जीने के लिए बाध्य होते हैं।

माइक्रो क्रेडिट के लाभों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जाता है, किंतु कर्ज तो कर्ज ही है। इससे जोखिम बढ़ता है और कई बार कर्जदार पर दबाव भी बढ़ता है। बचत से व्यक्ति ऐसे जोखिम को आसानी से सह लेता है और उस पर वित्तीय भार भी कम पड़ता है तथा विशेष रूप से महिलाओं के लिए बचत महत्वपूर्ण है। सामान्यतया गरीब परिवार चाहे छोटी ही राशि सही किंतु बचत अवश्य करते हैं।

वे अनेक तरह के अनौपचारिक साधन अपनाते हैं। जैसे घर में पैसा छिपाना, रिश्तेदारों को कर्ज देना, पड़ोसियों के साथ बचत समूह बनाना, जमा संग्राहक की सेवाएं लेना, पशु धन या अन्य वस्तुओं की खरीद करना आदि।

किंतु ये उपाय विश्वसनीय या सुरक्षित नहीं हैं। गरीब लोगों को बचत करने में सबसे बड़ी समस्या बचत खाते उपलब्ध न होना है जहां पर वे अपनी राशि जमा कर सकें। यह पैसा घर में किसी डब्बे में रखा जाता है और वह तब आसानी से खर्च हो जाता है जब कभी पड़ोसी संकट में हो या कोई उनसे सहायता मांगे।

माइक्रो फाइनेंसर से अपनी आवश्यकता के लिए ऋण लेने और अपनी आय में से उसका साप्ताहिक भुगतान करना पड़ता है। जिसके चलते घर की महिलाओं के पास बचाने के लिए पैसा नहीं बच पाता है।

जो संस्थान बचत छोड़कर ऋण देने को बढावा देते हैं वे वास्तव में गरीब ग्राहकों को बंधुआ बना देते हैं। बच्चे की प्राथमिक शिक्षा के लिए ऋण लेना तब आवश्यक हो जाता है जब व्यक्ति बचत करने की स्थिति में न हो।

स्वास्थ्य समस्या या परिवार में भोजन की कमी, विवाह, अंतिम संस्कार या सामाजिक समारोहों के लिए उन्हें बार-बार ऋण लेना पड़ता है। घर के आवश्यक सामान के लिए उन्हें ऊंची ब्याज दर पर ऋण लेना पड़ता है जिससे वे ऋण जाल में फंस जाते हैं। वित्तीय संस्थानों को समझना होगा कि उन्हें गरीब लोगों के लिए सुरक्षित और लचीले बचत साधन उपलब्ध कराने होंगे।

 

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