Independence Day 2025: क्या आप जानते हैं ध्वजारोहण और झंडा फहराने में अंतर? ये बारीकी नहीं जानते होंगे!

Independence Day 2025
Independence Day 2025: क्या आप जानते हैं ध्वजारोहण और झंडा फहराने में अंतर? ये बारीकी नहीं जानते होंगे!

Independence Day 2025:  अनु सैनी। भारत में स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस दोनों ही ऐसे राष्ट्रीय पर्व हैं जिन पर देशभर में तिरंगे को सम्मानपूर्वक लहराया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन दोनों मौकों पर तिरंगे के साथ की जाने वाली प्रक्रिया एक जैसी नहीं होती? अधिकांश लोग “ध्वजारोहण” (Flag Hoisting) और “ध्वज फहराना” (Flag Unfurling) के बीच के फर्क को लेकर कंफ्यूज रहते हैं। आइए, इस भ्रम को दूर करते हैं और समझते हैं कि आखिर इन दोनों में क्या अंतर है और क्यों अलग-अलग अवसरों पर अलग-अलग तरीके अपनाए जाते हैं।

स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस का महत्व | Independence Day 2025

स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त)
15 अगस्त 1947 को भारत ने अंग्रेजी हुकूमत से आजादी पाई। यह दिन गुलामी की बेड़ियों से मुक्ति का प्रतीक है।
इस दिन देश के प्रधानमंत्री लाल किले पर ध्वजारोहण करते हैं और राष्ट्र के नाम संबोधन देते हैं। यह आयोजन इसलिए खास है क्योंकि यह आजादी की याद और देश की स्वतंत्रता की घोषणा का प्रतीक है।

गणतंत्र दिवस (26 जनवरी)

आजादी के बाद भारत के पास अपना संविधान नहीं था। 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागू हुआ और भारत एक गणतांत्रिक देश बना।क्षइस दिन देश के राष्ट्रपति कर्तव्य पथ (राजपथ) पर ध्वज फहराते हैं और भव्य परेड का आयोजन किया जाता है। यह आयोजन भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था और संविधान की शक्ति का प्रतीक है।

ध्वजारोहण और ध्वज फहराने में असली अंतर

1. ध्वजारोहण (Flag Hoisting)
कब किया जाता है?
स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर।
कैसे किया जाता है?
ध्वज को नीचे रखा जाता है और प्रधानमंत्री रस्सी खींचकर उसे ऊपर खींचते हैं।
इसके बाद तिरंगा पूरी तरह खुलता है और हवा में लहराता है।
प्रतीकात्मक अर्थ:-
आजादी से पहले अंग्रेजों का झंडा ऊपर होता था। स्वतंत्रता दिवस पर अंग्रेजी झंडा उतारकर भारतीय तिरंगा ऊपर चढ़ाया गया, इसलिए इसे “ध्वजारोहण” कहा जाता है।
2. ध्वज फहराना (Flag Unfurling)
कब किया जाता है?
गणतंत्र दिवस के अवसर पर।
कैसे किया जाता है?
ध्वज पहले से ही पोल के ऊपर बंधा होता है और उसे मोड़कर रखा जाता है। राष्ट्रपति रस्सी खींचकर उसे खोलते हैं और तिरंगा फहरने लगता है।
प्रतीकात्मक अर्थ:-
यह प्रक्रिया इस बात का प्रतीक है कि देश पहले से ही स्वतंत्र है और अब संविधान के तहत एक गणतांत्रिक राष्ट्र के रूप में आगे बढ़ रहा है।
*क्यों है यह फर्क?
स्वतंत्रता दिवस:-
यह दिन अंग्रेजी हुकूमत से मुक्ति का प्रतीक है। 15 अगस्त 1947 को पहली बार पंडित जवाहरलाल नेहरू ने लाल किले पर ध्वजारोहण किया था, क्योंकि हमें अपना झंडा ऊपर चढ़ाना था।
गणतंत्र दिवस:-
आजादी के बाद जब संविधान लागू हुआ, तब राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने पहली बार गणतंत्र दिवस पर ध्वज फहराया। इस दिन तिरंगा पहले से ही अपनी जगह पर होता है और उसे केवल खोला जाता है।
ऐतिहासिक झलक
15 अगस्त 1947 – पहला ध्वजारोहण
आजादी की रात पंडित नेहरू ने लाल किले से तिरंगा लहराया। यह वह क्षण था जब अंग्रेजी झंडे को नीचे उतारकर भारतीय ध्वज को ऊपर चढ़ाया गया।
26 जनवरी 1950 – पहला ध्वज फहराना
भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने संविधान लागू होने के दिन राष्ट्रीय ध्वज फहराया। यह आयोजन इस बात का प्रतीक था कि देश अब पूरी तरह अपने संविधान के अनुसार संचालित होगा।

आसान शब्दों में समझें अंतर

अवसर करने वाला नेता प्रक्रिया प्रतीकात्मक अर्थ
स्वतंत्रता दिवस प्रधानमंत्री ध्वजारोहण – तिरंगे को नीचे से ऊपर खींचकर फहराना अंग्रेजी शासन से मुक्ति और आजादी का प्रतीक।
गणतंत्र दिवस राष्ट्रपति ध्वज फहराना – पहले से ऊपर बंधे तिरंगे को खोलना स्वतंत्र राष्ट्र के संविधान का सम्मान
ध्वजारोहण और ध्वज फहराने का अंतर केवल एक रस्मी या तकनीकी बात नहीं है, बल्कि यह हमारे इतिहास और राष्ट्रीय गर्व से जुड़ा है। ध्वजारोहण हमें आजादी की लड़ाई और उसके संघर्षों की याद दिलाता है। ध्वज फहराना हमें संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों की ताकत का एहसास कराता है।
इसलिए अगली बार जब आप 15 अगस्त और 26 जनवरी के कार्यक्रम देखें, तो याद रखिए – तिरंगे की हर लहर में देश का इतिहास, सम्मान और गर्व छिपा है।