कोरोना संक्रमण रोकने के प्रयासों को तेज करना होगा

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देश भर में कोविड-19 के बढ़ते मामले चिंताजनक हैं। तमाम सावधानियों और दिशा-निदेर्शों के बावजूद भारत ने कोरोना संक्रमण के मामले 2020 की याद दिला रहे हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार देश में सक्रिय मरीजों की संख्या बढ़कर आठ लाख के पार पहुंच गई है। बुधवार को देश में एक लाख 15 हजार 736 नए मामले दर्ज किए गए। दुनिया में इससे पहले केवल अमेरिका ही एक ऐसा देश है, जहां एक दिन में एक लाख से ज्यादा मामले सामने आए थे। अब अमेरिका में जहां प्रतिदिन 70 हजार के करीब मामले आ रहे हैं, वहीं भारत एक लाख के पार पहुंच गया है। यदि यही रफ्तार रही, तो अप्रैल घातक सिद्ध होगा। भारत चूंकि अमेरिका की तुलना में चार गुना से ज्यादा आबादी वाला देश है, इसलिए आंकड़े कहां जाकर दम लेंगे, सोचना भी भयावह है।

मृत्यु दर के मामले में महाराष्टÑ, पंजाब व छत्तीसगढ़ की स्थिति बेहद चिंताजनक है। बुधवार को महाराष्ट्र में सबसे अधिक 297 मौतें, उसके बाद पंजाब में 61 मौते, छत्तीसगढ़ में 53 मौतें, कर्नाटक में 39 मौतें हुई है। मुंबई में कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। रेलों, बसों में खचाखच सवारियां भरकर सफर किया जा रहा है। बाजारों में भारी भीड़ उमड़ रही है। शादी विवाह व अन्य धार्मिक, सांस्कृतिक, पारिवारिक समारोह में बड़ी संख्या में लोग एक स्थान पर एकत्रित हो रहे हैं, जिससे कोरोना का प्रसार तेज हो रहा है। लोगों को फिर से लंबा लॉकडाउन लगने का डर सताने लगा है। इसलिए मुंबई में रहने वाले प्रवासी मजदूरों ने अपने राज्य और शहरों की तरफ लौटना शुरू कर दिया है। मुंबई के सभी रेलवे स्टेशनों पर प्रवासियों की भीड़ बढ़ने लगी है।

कोरोना संक्रमण में यह तेजी स्पेनिश फ्लू की याद दिला रही है, जिसकी गिनती आज भी सबसे घातक वैश्विक महामारियों में होती है। सन 1918 में जब पहले विश्व युद्ध का अंत हो रहा था, तब स्पेनिश फ्लू पश्चिम से पूरी दुनिया में फैला था। तकरीबन एक तिहाई वैश्विक आबादी की अकाल मौत इस फ्लू हुई थी। अप्रैल-मई के महीनों में यह महामारी तेजी से ब्रिटेन, फ्रांस, स्पेन और इटली में फैली थी। इसमें मृत्यु दर सामान्य मौसमी फ्लू की तरह ही थी, लेकिन अगस्त के महीनों से जब इसकी दूसरी लहर आई, तो वह कहीं ज्यादा घातक साबित हुई। दूसरे चरण में नौजवान भी इससे खूब प्रभावित हुए, और अगले दो महीने में मृत्यु दर आसमान पर पहुंच गई। भारत भी इन सबसे अछूता नहीं था। करीब दो साल तक स्पेनिश फ्लू ने दुनिया को परेशान किया था, इसीलिए कोविड-19 के भी लंबा खिंचने की आशंका जताई जा रही है। कई दूसरे देशों में ऐसा दिख भी रहा है। अब ऐसा लग रहा है कि लोग कोरोना से लड़ते-लड़ते थक से गए हैं।

उनकी निश्चिंतता बताती है कि सरकार को कुछ नए प्रयास करने होंगे, ताकि जनता इस महामारी के खतरे की गंभीरता को समझ सके। इस नई लहर में युवा व किशोर भी तेजी से बीमार हो रहे हैं। अब शिक्षक भी सरकार के स्कूल बंद करने के फैसले के खिलाफ हैं, पंजाब में तो बच्चों सहित अभिभावक भी इसका विरोध कर रहे हैं। अब सरकार ने 45 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को कोरोना का टीका लगवाने के लिए इजाजत दी है। जबकि कम आयु के लोग कोरोना के बड़े स्प्रेडर हैं क्योंकि उनके द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान पर अधिक यात्राएं की जाती हैं। अब तक खास-खास वर्गों को ही टीका दिया गया है, लेकिन जिन 30 करोड़ लोगों को टीके लगाने का लक्ष्य रखा गया था, उनमें से आधे से भी कम फीसदी का ही अब तक टीकाकरण हो सका है। सरकार को बड़े स्तर पर टीकाकरण बढ़ाने के लिए अभियान छेड़ना होगा, ताकि कोरोना संक्रमण को रोका जा सके, अन्यथा सरकार को लॉकडाउन जैसी सख्ती करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।

 

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