दुर्लभ बीमारी: 16 करोड़ का टीका भी नहीं बचा पाया जान, जिंदगी की जंग हारी एक साल की वेदिका

नई दिल्ली (एजेंसी)। एक दुर्लभ आनुवंशिक बीमारी से पीड़ित एक साल की वेदिका ने पुणे के एक अस्पताल में आखिरी सांसें लीं। उसकी जिंदगी बचाने के लिए दुनियाभर से दुआओं के हाथ उठे थे, दुनिया का सबसे महंगा इंजेक्शन भी लगाया गया था। लेकिन, होनी को कुछ और ही मंजूर था। वेदिका की दवा के लिए आयात शुल्क माफ करने का मुद्दा लोकसभा में भी उठ चुका था। पिछले महीने जब उसके लिए अमेरिका से इंजेक्शन आ गया और उसे वह लगा दिया गया तो लगा था कि महीने- दो महीने में वह सामान्य बच्ची की तरह खेलने-कूदने लगेगी। लेकिन, एक दुखद खबर ने दुनियाभर में उसके लिए दुआ मांगने वालों के आंखों में आंसू ला दिए।

क्या थी बीमारी

एक साल की वेदिका स्पाइनल एट्रोफी नाम की एक दुर्लभ बीमारी से जूझ रही थी। यह एक आनुवंशिक रोग है, जिससे उसकी रक्षा के लिए दुनियाभर से दुआओं और समर्थन के हाथ उठे थे। लेकिन, रविवार सायं को उसने पुणे के दीनानाथ मंगेश्कर अस्पताल में दम तोड़ दिया था। गौरतलब हैं कि इस बीमारी के चलते विभिन्न क्राउडफंडिंग प्लेटफॉर्म के जरिए 16 करोड़ रुपये जुटाए गए थे। 13 महीने की मासूम की मौत की खबर देखते ही देखते सोशल मीडिया पर वायरल हो गई और करोड़ों लोगों की उम्मीद एक ही झटके में टूट गई।

इंजेक्शन देने के बाद उसकी हालत में धीरे-धीरे सुधार हो रहा था, लेकिन रविवार को उसका आॅक्सीजन लेवल अचानक गिर गया और उसे सांस लेने में तकलीफ होने लगी थी, तभी उसे पास के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन इस दौरान उसकी मौत हो गई।
सौरभ शिंदे, वेदिका के पिता

 

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