Israel Hamas War Impact: जिधर देखो चीख पुकार, क्रूरता के लिए कौन जिम्मेदार?

Israel Hamas War Impact
जिधर देखो चीख पुकार, क्रूरता के लिए कौन जिम्मेदार?

Israel Hamas War Impact: राकेट, मिसाइल व बमबारी…जिधर देखो चीख पुकार, खून से सनी सड़के व लोग, मलबे में दबी जिंदगी। जहाँ तक नजर जा रही है वहीं पर लाशों के अंबार। कोई अपनों से बिछुड़ा हुआ है तो कोई अपनों को खो चुका है। कुछ ऐसे हालात है इजराइल व फिलिस्तीन समर्थित आतंकवादी संगठन हमास के बीच जंग के। इतना तो सब जानते हैं कि किसी भी जंग के बीच खून खराब होता ही है। लेकिन जितना खून खराबा पिछले 24 घंटो के दौरान गाजा पट्टी में देखने को मिला, इतना पिछले 12 दिनों के दौरान भी एक साथ देखने को नहीं मिला था। Israel Hamas War Impact

हालांकि दोनों देशों के बीच जंग जारी है। 7 अक्टूबर को जब फिलिस्तीन समर्थित आतंकवादी संगठन हमास ने इसराइल के ठिकानों पर अचानक हमला बोला था, तब से ही बेकसूर लोगों पर अत्याचार हो रहे हैं। पर इसी बीच बुधवार सुबह होते ही दुनिया के सामने जो खबर व खून-खराबे की तस्वीर सामने आई वह न सिर्फ गाजा पट्टी के लोगों के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए चिंतननीय स्थिति है। 1945 में यूनाइटेड नेशन की जेनेवा संधि के अनुसार विश्व में शांति बहाली जारी रहेगी। लेकिन जब कभी किन्हीं दो देशों के बीच युद्ध की स्थिति बन भी जाए तो तब वहां मानवीय अत्याचार नहीं होगा। पर ऐसा नहीं हुआ।

गाजा पट्टी के सबसे बड़े अस्पताल पर रॉकेट गिराया या मिसाइल। पर इस आसमानी हमले से पूरा अस्पताल जहां खंडहर में तब्दील हो गया। वहीं सैकड़ो की संख्या में उपचार की आस में दाखिल हुए घायल या मरीज लाश बन गए।

मंगलवार को गाजा पट्टी के अस्पताल पर हुए हमले को एक तरफ जहां मानवीय अत्याचार कहा जा सकता है तो वहीं यह हमला युद्ध अपराध की श्रेणी में भी आ सकता है। इस हमले की दुनिया भर में चौतरफा आलोचना जारी है। इस आलोचना के बीच अमेरिका ने इस हमले की जांच के भी आदेश दिए हैं। पर यह हमला इसराइल ने किया या फिर हमास ने। इस बात को कोई भी स्वीकार नहीं कर रहा है। इजराइल व फिलिस्तीन की तरफ से अब तक इस हमले की किसी ने भी जिम्मेदारी नहीं ली। इजराइल का कहना है कि उसने अस्पताल पर किसी भी प्रकार का रॉकेट नहीं दागा और न ही उसने मिसाइल छोड़ी। Israel Hamas War Impact

इजराइल का आरोप है यह हमास के अपने रॉकेट कि गलत दिशा में जाने से ऐसा हमला हुआ। दूसरी तरफ हमास भी अस्पताल पर हुए इस हमले की जिम्मेदारी से भाग रहा है। इसराइल हो या फिर हमास। जिसने भी यह हमला किया है, उस पर अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत युद्ध अपराध का आरोप लग सकता है और लगना भी चाहिए। युद्ध अपराध एक संगीन अपराध है। जिसके लिए अंतरराष्ट्रीय कानून अपना काम करता है। मंगलवार को गांजा पट्टी पर हुए हवाई हमले की जिम्मेदारी इजरायली वायु सेवा ने नहीं ली है।

आईडीएफ ने तो इस हमले के लिए फिलिस्तीन इस्लामिक जिहाद सैन्य समूह के असफल रॉकेट लॉन्च को जिम्मेदार ठहराया है। इजरायली वायु सेवा ने व इजरायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा है ‘आईडीएफ की परिचालन प्रणालियों के विश्लेषण के अनुसार इजरायल की तरफ रॉकेट श्रृंखला छोड़ी गई थी, जो अस्पताल के आसपास से गुजरी और वहीं फट गई। इस हमले के लिए इस्लामी जिहाद आतंकी संगठन जिम्मेदार है।

पर अब हमले की जिम्मेदारी से दोनों पक्ष बच रहे हैं। लेकिन उससे पहले चिंतनीय स्थिति है कि इस अस्पताल में जो भी बीमार व घायल अपने जीवन की संजीवनी की आस में भर्ती हुए थे। अब उनका जीवन खत्म हो चुका है। उनके अपने रोते-बिलखते हुए आरोप लगाते हुए इजराइल व हमास को दोष दे रहे हैं। लेकिन कुछ भी हो जिनके अपने अस्पताल में इलाज करवाने के लिए आए थे। वे अपनी बीमारी से नहीं मरे, बल्कि उन्हें आसमानी अटैक से मरना पड़ा।

यह उनके लिए मृत्यु दंड से काम नहीं है। विश्व स्वास्थ्य संगठन भी ऐसा मान चुका है कि यदि अस्पताल में भर्ती किसी मरीज पर हमला किया जाता है तो वह मृत्युदंड के बराबर होगा। पर अब इस मामले में होगा क्या? यह सोचने का सवाल है। पिछले 12 दिनों से जारी इस युद्ध में हमास और इजरायल दोनों पर ही अंतर्राष्ट्रीय युद्ध अपराध कानून के उल्लंघन का आरोप लगता आ रहा है। Israel Hamas War Impact

इस मामले में यूनाइटेड नेशन दोनों पक्षों के उल्लंघनों की जांच तो कर रहा है। पर जब तक यह जांच पूरी होगी तब तक इजराइल व हमास खंडहर में तब्दील हो चुका होगा, युद्ध अपराध की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जांच कर उसे लागू करना इतना आसान काम नहीं है। यह सबसे जटिल काम है। हमेशा युद्धों के बाद ऐसे अपराधों की जांच और अपराधियों को सजा के मुकाम तक पहुँचा पाना बहुत जटिल प्रणाली का हिस्सा है। ऐसा आज तक कभी हुआ भी नहीं।

ऐसे मामले में अंतरराष्ट्रीय कोर्ट जब किसी भी राजनेता के खिलाफ गैर जमानती वारंट तक जारी कर देता है तो भी उसे गिरफ्तार कर पाना अंतरराष्ट्रीय कोर्ट के लिए सबसे मुश्किल कार्य होता है। जैसा रूस व यूक्रेन युद्ध में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में ऐसा हुआ है। पर अभी तक गिरफ्तारी की तो बात ही दूर व्लादिमीर पुतिन तक पहुंचना भी अंतरराष्ट्रीय कोर्ट, यूनाइटेड नेशन व मानवाधिकार संगठनों के लिए असंभव रहा है। आधुनिक सभ्यता के जन्म के साथ या ये कहे कि विज्ञान के बढ़ते कदमों के साथ ही सभी देश हथियारों से लैस हैं और यही एक वजह है कि यही विज्ञान जहां एक वरदान है तो वहां पूरी दुनिया के लिए अभिशाप भी है।

रूस यूक्रेन युद्ध इजराइल फिलिस्तीन युद्ध का उदाहरण सभी के समक्ष है। इससे पहले भी युद्ध में बेकसूर जनता मरती रही है। पर याद होगा हजारों वर्ष पहले एक ऐसी सभ्यता भी थी जिनके पास औजार तो थे पर कोई हथियार नहीं था। यहां हम बात कर रहे हैं सिंधु सभ्यता की। संयुक्त भारत एवं वर्तमान में पाकिस्तान के सिंध प्रांत में स्थित सिंधु घाटी सभ्यता बसी थी। वर्तमान समय में इसे मोहनजोदड़ो के नाम से जाना जाता है, जिसका अर्थ है ‘मुर्दों का टीला’।

पर यहां मुर्दों का टीला प्राकृतिक आपदा के कारण बना था, ना कि किसी हथियारों के प्रयोग से। इतिहासकार ओम थानवी ने अपने लेख ‘अतीत में दबे पाँव’ में इस सभ्यता के बारे में खुलकर लिखा है। हालांकि जिस स्थान पर सिंधु सभ्यता विकसित थी। आज वहां सिर्फ एक अजायबघर घर बना हुआ है। ओम थानवी ने अजायबघर में तनात पुरातात्विक विद्वान अली नवाज के माध्यम से लिखा है कि समूची सिंधु सभ्यता में हथियार कहीं नहीं मिले।

जैसे किसी आजकल के राजतंत्र में होते हैं। उन्होंने लोकतंत्र की बजाय राजतंत्र शब्द का प्रयोग किया है। सिंधु सभ्यता में कहीं पर भी भव्यता का आडंबर नहीं था यानी कि किसी को किसी का डर नहीं था। पर वर्तमान में पूरी दुनिया रूपी आईने में झांककर देखा जाए तो आज चारों तरफ भव्यता का ही आडंबर है। चाहे लोग खुद अपनों से डर रहे हो या किसी विदेशी हमले से। इतना ही नहीं देश के अंदरूनी हिस्सों में हो रहे दंगों से भी लोग इतने भयभीत हैं कि अपने घर-स्थान छोड़ने के लिए मजबूर हो रहे हैं। अभी भी समय बचा है। Israel Hamas War Impact

यूनाइटेड नेशन की सुरक्षा परिषद को पहल करते हुए रूस-यूक्रेन युद्ध व फिलिस्तीन-इजरायल युद्ध को किसी तरह रुकवाना चाहिए ताकि मानवता पर किसी भी प्रकार का कोई संकट न बने। हम सबको मिलकर या सभी देशों को मिलकर एक ऐसी समाज की स्थापना करनी चाहिए, जो राज-पोषित न होकर समाज-पोषित हो। यानी समाज में समाज में ही रहने वाले व्यक्तियों से किसी भी प्रकार का कोई डर ना हो। यदि युद्ध में शामिल लोग या देश अपने अहं के सवाल को छोड़ दें तो ऐसा संभव भी है। Israel Hamas War Impact

डॉ. संदीप सिंहमार, वरिष्ठ लेखक एवं स्वतंत्र टिप्पणीकार