आर्थिक विशेषज्ञों की बात को महत्व दे सरकार

Economic experts

पूर्व प्रधानमंत्री डॉॅ. मनमोहन सिंह ने एक प्रतिष्ठित समाचार पत्र में देश की आर्थिक स्थिति पर एक गंभीर लेख लिखकर देश व सरकार को आगाह किया है कि अर्थव्यवस्था के लिए कुछ किया जाना चाहिए। बेरोजगारी बढ़ रही है। देश की बैंकों को लोन माफिया डकार रही है, आर्थिक वृद्धि दर पिछले 15 साल के सबसे निचले तल पर आ चुकी है। डॉॅ.सिंह ने सरकार व भाजपा दोनों को संबोधित करते हुए लिखा है कि वह यह बात विपक्ष के नेता के तौर पर राजनीतिक दृष्टिकोण से नहीं कह रहे बल्कि देश के जिम्मेवार नागरिक एवं अपनी आर्थिक शिक्षा के आधार पर कह रहे हैं।

यहां वित्त मंत्रालय एवं देशवासी इस बात का भी ध्यान रखें कि डॉ. मनमोहन सिंह ही कांग्रेस के एकमात्र ऐसे नेता हैं जिनका स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी राजनीति से ऊपर उठकर मान सम्मान करते हैं। अत: अब यह जरूरी है कि पूरा देश उनकी बात को महत्व दे खासकर सरकार के वह लोग जो अर्थव्यवस्था के विषय में निर्णय लेने में सक्षम हैं। यदि स्वयं प्रधानमंत्री मोदी या सरकार की मशीनरी डॉ. मनमोहन सिंह की बात को अनसुना करते हैं तब यह भी साफ हो जाएगा कि डॉॅ. सिंह का भाजपा की ओर से किया जाने वाला सामान महज दिखावटी है।

डॉॅ. सिंह से पहले देश के कई बड़े अर्थशास्त्री इस विषय में अपनी चिंता जाहिर कर चुके हैं जिनमें आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन भी प्रमुख हैं। पूरा देश इस बात से वाकिफ है कि सरकार आरबीआई का रिवर्ज तरल भी लेकर बैंकों को दे चुकी है जोकि देश की अर्थव्यवस्था के लिए आपात अवस्था की आॅक्सीजन होता है। सरकार द्वारा नोटबंदी व जीएसटी का बुरा असर पहले यहां कुछ महीनों तक माना जा रहा था वह असर अभी भी मिटता नजर नहीं आ रहा। जीएसटी को बेहद मजबूर कर प्रणाली माना जाता है जिसमें कर चोरी नामुमकिन है लेकिन भारतीय संदर्भ में यहां लोगों को अपनी खरीद का बिल लेने की आदत ही नहीं है यहां कारोबारी व उनके अकाउंटेंट जीएसटी कर में बड़ी सेंध मार रहे हैं। जो कर सरकार के पास जाना चाहिए वह ग्राहकों के अनाड़ीपन की वजह से कारोबारी, वित्त प्रबंधन करने वाले पेशेवरों की जेब में जा रहा है।

इतना ही नहीं कोई भी उद्यमी लाख रियायतों के बाद नए उद्यम शुरू नहीं कर रहा क्योंकि नोटबंदी के बाद वह अपने धन को बैंक जमा में बदलकर बैठा है एवं जमाकर्ता अपनी पूंजी बाजार के रिस्क में प्रवाहित नहीं करना चाह रहा जिस कारण रोजगार सृजन, उत्पादन तक की पूरी श्रंखला गड़बड़ा गई है। इस सुस्ती में रही-सही कसर ऋण लेकर भागे लोगों व बैकिंग भ्रष्टाचार ने निकाल दी है। कुछ भी हो सरकार को अपने अहं को त्यागकर डॉ. मनमोहन सिंह में जैसे धुरंधर अर्थशास्त्रियों की बात को महत्व देना चाहिए। अनुभवी लोगों को नीति आयोग, वित्त संस्थाओं में आगे करना होगा तब निश्चित ही सरकार देश की गिरती आर्थिक दशा को उभार कर अपनी साख बचा सकती है।

 

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