Motivational: सामाजिक प्राणी होने के नाते मानव अपनी भौतिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये समाज के अन्य सदस्यों से लेन देन करता है। इसमें कुछ भी गलत नहीं है। गलत तो तब हो जाता है, जब लेन-देन की आदत ठीक न रखी जाए। प्रत्येक व्यक्ति को लेन-देन साफ रखना चाहिए। यह लेन-देन का कार्य एक आलपिन से लेकर रुपयों-पैसों तक का हो सकता है, पर कुछ व्यक्ति लेने के मामले में आगे रहते हैं लेकिन जब लिया हुआ पुन: देना (लौटाना) पड़ता है तो हाथ खींच लेते हैं। ऐसी स्थिति में मधुर रिश्तों में भी कटुता आना स्वाभाविक है। हमें अपनी आम जिंदगी में कई ऐसे लोगों से भी सामना करना पड़ता है जो ‘जरा भाई साहब’, कहकर पैन वगैरह साइन करने के लिए मांगते हैं और काम निबटते ही जेब में रखकर चलते बनते हैं। दिखने में तो यह मामूली सी बात हो सकती है पर इसे गंभीरता से लेना चाहिए। इसी तरह पेचकस (स्क्रू डाईवर), प्लास, अन्य औजार, मोटर साइकिल, टॉर्च, छाता वगैरह हमें एक दूसरे से मांगने ही पड़ते हैं। यदि इनको हम पुन: समय पर न लौटायें या खराब करके लौटायें तो इनका मालिक कितना दुखी होगा, यह अंदाजा आसानी से लगा सकते हैं।
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कुछ आदमी मांगकर किताबें पढ़ने के शौकीन होते हैं। यह भी खराब आदत है। यदि कोई विशेष नोट्स या महंगी किताब वगैरा मांगनी ही पड़ जाएं तो हिफाजत के साथ उसे लौटाने में देर ना करें। पत्र-पत्रिकाओं को खरीद कर पढ़ने की आदत बनाएं। यदि पूर्ण सावधानी के बाद भी मांगी गई वस्तु खराब हो जाए या टूट-फूट जाए तो इसका पूरा मूल्य या रिपेयरिंग खर्च क्षमा- याचना सहित बिना मांगे दे देना चाहिए। इससे आपकी उज्ज्वल छवि सामने आएगी वरना लोग आपको कुछ भी देने में कतरायेंगे।
शादी-ब्याह या किसी पार्टी वगैरह में विशेषकर हमें कई सामान मांग कर ही लाने पड़ते हैं। ऐसे व्यस्ततम मौकों पर भी सामानों को सही समय पर सुरक्षित रूप से पहुंचा दें तो अच्छा रहेगा। कुल मिलाकर लेन देन में जरा सी सावधानी आपकी कई समस्याएं दूर कर देगी। वैसे तो हमें दूसरों से कुछ भी मांगना ही नहीं चाहिए, फिर भी जरूरत में लेना ही पड़े तो सही समय पर व सही सलामत, सधन्यवाद लौटाने की आदत डालें।
इन्सान को व्यवहार का सच्चा होना चाहिए
इन्सान को व्यवहार का सच्चा होना चाहिए। मान लीजिए कि आपको रुपयों की जरूरत है। आप किसी से ऋण के रूप में रुपए लेने जाते हैं। वो व्यक्ति आपको रुपए देता है और आपसे समय पूछता है कि कितने समय में वापिस कर दोगे। तब अगर आप वो रुपए 6 महीने में दे सकते हैं तो भी पहले ही आप 8 महीनों का समय मांग लें। इसके बाद जैसे ही आप पैसे वापिस देने जाएं, तो रुपए निर्धारित ब्याज सहित वापिस लौटाएं और उसका आभार व्यक्त करें। दूसरी तरफ जिस व्यक्ति ने रुपए दिए होते हैं, वह भी कम से कम ब्याज पर ऋण दे। जब व्यक्ति रुपए वापिस देने आता है, तब यदि व्यक्ति आर्थिक रूप से कमजोर है, तो उससे केवल मूल ले लें और ब्याज न लें और उससे कहें कि भाई, तेरा काम चल गया, अब मुझे भी अपने रुपए वापिस मिल गए, ये ब्याज की रकम तू अपने किसी काम में लेना।
-पूज्य गुरू संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां















