Chandrayan-3: अमेरिका, रूस और चीन को चांद तक पहुंचने में 4 दिन लगते हैं, तो इसरो के चंद्रयान को 40 से 42 दिन क्यों लग लग रहें हैं?
chandrayan-3: साल 1969 अमेरिका का Apollo 11 mission महज 4 दिन में धरती से चांद पर पहुंच गया और इंसान ने पहली बार चांद पर कदम रखा। उसके बाद साल 2010 में चीन ने Chang'e 2 mission के दौरान भी धरती से चांद की दूरी महज 4 दिन में ही तह कर ली थी। लेकिन धरती...
Daughter Rights: पिता की संपत्ति पर बेटियों का कितना अधिकार, जानें सुप्रीम कोर्ट का ये अहम फैसला
Daughter Rights: भारत में पिता की संपत्ति के विभाजन को लेकर अलग-अलग कानून है, जानकारी के अभाव व बटवारा न होने की स्थिति में ये हमेशा विवाद का मुद्दा बना रहता है, पिता की संपत्ति पर बेटियों के अधिकारों से संबंधित क्या प्रावधान है, इसको लेकर बहुत से लो...
भारत में बढ़ती जनसंख्या के दुष्परिणाम
इस बढ़ती जनसंख्या पर निबंध (Badhti Jansankhya Par Nibandh) में, हम चर्चा करने जा रहे हैं कि यह आर्थिक विकास और विशेष रूप से माँ के प्रमुख मुद्दों को कैसे प्रभावित करता है।
जनसंख्या तथा आर्थिक विकास में परस्पर घनिष्ठ संबंध है। किसी देश का आर्थिक विका...
मानवाधिकारों की चुनौतियां
विश्व मानवाधिकार दिवस प्रत्येक वर्ष 10 दिसम्बर को मनाया जाता है। 1948 में 10 दिसंबर के दिन संयुक्त राष्ट्र महासभा ने मानवाधिकार घोषणा पत्र जारी किया था तभी से प्रतिवर्ष 10 दिसंबर को विश्व मानवाधिकार दिवस मनाया जाता है। मानवाधिकार घोषणा पत्र में न्याय...
क्या थर्मल पावर प्लांट का विस्तार आवश्यक है? Thermal Power Plant in Hindi
भारत में कोयला बिजली का सबसे बड़ा स्रोत
संपूर्ण विश्व में कोयला बिजली बनाने का सबसे बड़ा स्त्रोत है। कोयले से बिजली बनाने वाले प्लांट को थर्मल पावर प्लांट कहते हैं। भारत में 67% बिजली की स्त्रोत थर्मल पावर प्लांट है। पश्चिमी देश पर्यावरण संरक्षण के द...
भारतीय संस्कृति में गुरु की महत्वपूर्ण भूमिका
भारतीय संस्कृति में गुरु पूर्णिमा का विशेष महत्व है, यह अध्यात्म-जगत की सबसे बड़ी घटना के रूप में जाना जाता है। पश्चिमी देशों में गुरु का कोई महत्व नहीं है, वहां विज्ञान और विज्ञापन का महत्व है परन्तु भारत में सदियों से गुरु का महत्व रहा है। यहां की म...
मानवीय लालच पहुंचा रहा है प्रकृति को नुकसान
वर्तमान में विकास के तथाकथित मॉडल ने पूरी दुनिया को वैश्विक ग्राम का रूप प्रदान तो किया है, किन्तु मानवीय मूल्य, संवेदनाएं, सामाजिक सरोकार और प्रकृति एवं पर्यावरण के प्रति हमारा व्यवहार सब कुछ कहीं खो गया है। तथाकथित विकास के परिणामस्वरूप जन्मी अनेक ...
Tribhasha Sutra: त्रिभाषा सूत्र अपनाना अति आवश्यक
Tribhasha Sutra: विश्व में 6809 भाषाएं बोली जाती हैं। उनमें से 1600 से अधिक भाषाएं भारत में बोली जाती हैं। वर्ष 1971 की जनगणना रिपोर्ट के अनुसार भारत में केवल 20 से 22 भाषाएं ही नहीं बल्कि 1632 भाषाएं बोली जाती है। भारत में भिन्न-भिन्न स्थानों पर विभ...
ज्योतिबा फुले ने दिखाई सामाजिक बदलाव की राह
महात्मा ज्योतिबा फुले भारत में सामाजिक परिवर्तन की लड़ाई के अगुवा हैं। अपने विचारों और कार्यों की बदौलत उन्होंने दलित-वंचित समाज को वर्ण-व्यवस्था के भेदभावकारी व शोषणकारी चंगुल से आजादी के लिए निर्णायक संघर्ष का नेतृत्व किया। इसके साथ ही उन्होंने देश ...
रानी रुदाबाई जिसने सुल्तान बेघारा के सीने को फाड़ा
गुजरात से कर्णावती के राजा थे, राणा वीर सिंह वाघेला (सोलंकी), इस राज्य ने कई तुर्क हमले झेले थे पर कामयाबी किसी को नहीं मिली, सुल्तान बेघारा ने सन् 1497 पाटण राज्य पर हमला किया राणा वीर सिंह वाघेला के पराक्रम के सामने सुल्तान बेघारा की 40000 से अधिक ...
ग्लोबल वार्मिंग बन रही खतरे की घंटी
Global Warming Ke Khatre: यूरोप के दक्षिणी भाग में इन दिनों पारा 40 डिग्री से ऊपर दर्ज हो रहा है। इटली, रोमानिया जैसे देशों में आबादी को भंयकर गर्मी की मार पड़ रही है। पिछले वर्ष यूरोप में गर्मी से करीब एक लाख 40 हजार लोग प्रभावित हुए थे। परिस्थितियां...
अपने आप को जानना सीखें
लोग दुनिया को जानने की बात तो करते हैं, पर स्वयं को नहीं जानते। जानते ही नहीं, बल्कि जानना भी नहीं चाहते। खुद को जानना ही दुनिया की सबसे बड़ी नियामत है। जो खुद को नहीं जानता, वह भला दूसरों को कैसे जानेगा? दूसरों को भी जानने के लिए पहले खुद को जानना आव...
आधुनिक युग में नए नजरिए से गांधी
आधुनिक भारतीय चिंतन प्रवाह में गांधी के विचार सार्वकालिक हैं। वे भारतीय उदात्त सामाजिक-सांस्कृतिक विरासत के अग्रदूत भी हैं और सहिष्णुता, उदारता और तेजस्विता के प्रमाणिक तथ्य भी। सत्यशोधक संत भी और शाश्वत सत्य के यथार्थ समाज वैज्ञानिक भी। राजनीति, साह...
परिवार में बढ़ती दूरियां
सामाजिक सौहार्द का जितना हृास विगत 50 वर्षों में हुआ है, उतना तो उससे पूर्व के पांच सौ वर्षों में भी नहीं हुआ था, जबकि उस समय न हमारी पहचान थी और न देश की। देश एक उपनिवेश मात्र था। जैसे-तैसे सैकड़ों नाम तथा अनाम सेनानियों की वजह से हमने स्वतंत्रता तो ...
जैव-विविधता प्रकृति का अनुपम उपहार
पर्यावरण एवं प्राकृतिक संतुलन बनाए रखने में जैव-विविधता के महत्व देखते हुए अंतरराष्ट्रीय जैव-विविधता दिवस 22 मई को मनाया जाता है। जैव विविधता का सम्बन्ध पशुओं और पेड़ पौधों की प्रजातियों से है। जैव विविधता को बनाये रखने के लिए यह महत्वपूर्ण है की हम अ...