देशवासी अपने आपको मुर्गी न समझें, क्या समझें?
जिस देश में सरकार व बैंकर्स ने देश के ईमानदार करदाताओं व बचतकर्ताओं का मजाक बनाकर रख दिया हो तब उस देश में नागरिक अपने आपको एक मुर्गी से ज्यादा समझें भी तो क्या समझें? क्योंकि कभी कर्ज लेकर उद्योगपति भाग जाते हैं, कभी पूरा बैंक ही धराशायी हो जाता है।
कोरोना विरुद्ध ड्यूटी कर रहे कर्मवीरों के स्वास्थ्य का रखें ध्यान
कोरोना योद्धाओं का स्वास्थ्य भी देश के लिए सुरक्षा का मुद्दा है। यदि ये योद्धा स्वस्थ रहेंगे फिर ही वे लोगों को कोरोना से बचा सकेंगे। विशेष रूप से पुलिस कर्मचारी कुछ बच्चों के जन्मदिन के अवसर पर उनके घर में केक देकर आए। बच्चों के प्रति पुलिस कर्मचारियों का स्नेह व भावना सराहनीय है लेकिन महामारी के दौर में इस प्रकार का संपर्क किसी खतरे से भी खाली नहीं।
जिंदगी की जंग में आर्थिक कुर्बानी छोटी
नि:संदेह आर्थिकता किसी देश की रीढ़ होती है लेकिन आर्थिकता भी तो मानव समाज के लिए है। बिना मानव कारें, कोठियां व उच्च स्तरीय रहन-सहन किस काम का?
शराब जरूरी नहीं, स्वास्थ्य जरूरी
कोविड-19 में डब्ल्यूएचओ एवं स्वास्थ्य विशेषज्ञ साफ चेतावनी दे रहे हैं कि शराब का सेवन कोविड-19 के मरीज को ज्यादा मुश्किल में डालने वाला है, क्योंकि शराब से व्यक्ति की रोगों से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता घटती है।
चापलूस, बकवासी व झूठे मीडिया वर्ग को क्यों सुनना
राजनीतिक चम्मचागिरी के अलावा मीडिया का यही वर्ग व्यवसायिक जगत एवं अध्यात्मिक जगत के लोगों को भी बदनाम करने का निर्लज्ज प्रयास आए दिन करता रहता है। मीडिया का ये स्वार्थी वर्ग भले खुद अच्छी खासी काली कमाई कर रहा हो, लेकिन देश व समाज का ये बहुत घात कर रहा है।
प्रवास के लिए भारतीयों समक्ष खड़ा हो रहा संकट
इंडियन सेंटर फॉर माइग्रेशन को चाहिए कि वह भारतीयों के लिए नए देशों व क्षेत्रों की खोज में अपने प्रयास तेज करे।
मॉब लिचिंग पर राजनेताओं, मीडिया की क्या हो भूमिका
समस्या यह है कि मॉब लिंचिग कहीं बदलाखोरी का रूप न धारण कर जाए? यहां राजनीतिक पार्टियों को इस गंभीर मुद्दे पर संयम रखना होगा और भीड़ में हुई हत्याओं को सांप्रदायिक रंगत देने से बचा जाए। राजनीतिक लोगों से कहीं ज्यादा जिम्मेवारी मीडिया के लोगों पर भी है। मीडिया को अपनी कवरेज में साम्प्रदायिक पुट देने से बचना चाहिए।
दोहरे मापदंड न अपनाएं
बिहार में कोटा से विद्यार्थियों की वापिसी के लिए राजनीतिक जंग शुरू हो गई है। नि:संदेह यह प्रधानमंत्री के आदेशों, अपील और देश की आवश्यकताओं के विरुद्ध है। इस वक्त हजारों लोगों का इधर-उधर जाना खतरे से खाली नहीं। कोटा में रह रहे विद्यार्थियों और देश में कोरोना से मरने वाले लोगों को देखते हुए इस समय जगह न बदलने में ही भलाई है।
कोरोना योद्धाओं को सलाम
देश भर के डॉक्टर, पुलिस व सफाई कर्मचारी, इस वक्त कोरोना वायरस जैसी नामुराद बीमारी से लड़ रहे हैं। इन्हें कोरोना वॉरियर्स का नाम दिया गया है। सरकार को उन समाजसेवी लोगों के जज्बे की भी सराहना करने की आवश्यकता है जो बिना किसी वेतन, स्वार्थ के प्रशासन का सहयोग कर रहे हैं।
पब्जी का कहर और लापरवाह अभिभावक
पंजाब में एक सप्ताह में दो बच्चों की पब्जी गेम से मौत दर्दनाक व चिंतनीय विषय है। चिंता इस बात की है कि यह गेम धीमा जहर है, इस मामले में न तो समाज और न ही सरकारें कोई नोटिस ले रही हैं। कंपनियां और गेम्स खेलने वाले लोग पर्दे के पीछे रहकर अपने कारोबार के लिए बच्चों को खतरनाक मनोरंजन परोस रहे हैं।


























