सशक्तिकरण में युवाओं की भूमिका
उसे स्व्यं से प्रश्न करना होगा कि भारतीय खेती और खेतिहर की आज दुर्दशा क्यों है ? उसे मंथन करना होगा कि यदि खेती सचमुच घाटे का सौदा है, तो फिर कई कंपनियां खेती के काम में क्यों उतर रही हैं ? कमी हमारी खेती में है या विपणन व्यवस्था में ? ऊंची पसंद वाले देसी, जैविक और हर्बल को अन्य से उत्तम समझ रहे हैं।