खुश हैं वन्य जीव और प्रकृति मुस्काने लगी
कोरोना के कारण तालाबंदी से पिछले 33 दिनों की अवधि ने घरों में कैद मानवीय जीवन में आये बदलाव से प्रकृति को पुन: नवल रूप धारण करने का एक स्वर्णिम अवसर प्रदान किया है। संचार के तमाम संसाधनों में चित्र और समाचार प्रकाशित प्रसारित होते रहे कि अब किस प्रकार प्रकृति खिली-खिली नजर आ रही है।
आर्थिक मोर्चे पर नया साल चुनौतीपूर्ण
साथ ही संस्थानों और संगठनों को मजबत कर विकास की प्रक्रिया में तेजी लायी जा सकती है अैर यह जिम्मेदारी सत्तारूढ़ राजनीतिक दल की है कि वह सामाजिक, आथिर्क विकास सुनिश्चित करे और ऐसा बदलाव लाए जिससे देश में गरीब और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों की स्थिति में सुधार हो क्योंकि बढ़ती विषमता सतत और संतुलित विकास के मार्ग में अड़चन बनती जा रही है।
कोरोना के साथ जीना सीखो
सरकार को अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए आर्थिक टीका लगाना पड़ेगा। अर्थव्यवस्था को धीरे-धीरे खोलना और नई स्थिति के साथ समायोजन करना वक्त की मांग है।
प्रेरणास्त्रोत : मां का प्रेम
पर तुम कैसे कह सकती हो कि मैं चक्रवर्ती सम्राट बनूंगा?’ मां ने कहा, ‘देख तेरे सामने के दांत पर नाग का चिह्न है।’
चाणक्य ने आईने में देखा तो मां की बात सही निकली।

























