कोरोना की आड़ में राजनीति
किंतु आज लगता है कि हम ऐसे भारत में रह रहे हैं जहां पर केवल वीवीआईपी को महत्व दिया जाता है जो आधिकारिक नामक एक संकरी पट्टी पर रहते हैं और विशेषाधिकारों की ओर भागते हैं। इसके चलते आज आम आदमी और खास आदमी के बीच खाई और चौड़ी हो गयी है और परिणामस्वरूप शासकों के प्रति लोगों में हताशा और आक्रोश बढ रहा है और जनता अवज्ञा पर उतर आयी है।
अपने आप में कानून
यह संयोग नहीं है कि कोरोना महामारी के दौरान पुलिस उत्पीड़न की शिकायतें प्राप्त हुई हैं बल्कि यह महामारी कानून के नियम को नजरंदाज करने के लिए पुलिस के लिए एक बहाना बन गया। प्रवासी मजदूरों, दुकानदारों, पटरी दुकानदारों, आदि की पिटाई और उनको गाली देना आम बात हो गयी है। कर्फ्यू के दौरान सड़क पर लोगों की कान पकडकर परेड कराना भी आम देखने को मिला।
भारत धर्मनिरपेक्ष था, है और रहेगा
भारतीय समाज का समग्र स्वरूप न तो किसी वारिस पठान या अकबरुद्दीन ओवैसी या उसकी किसी जहरीली सोच को स्वीकार करता है न ही किसी गिरिराज सिंह, योगी, राजा सिंह, तोगड़िया, साक्षी अथवा प्रज्ञा जैसों की सोच को।
सत्ता के जादूगर: बेंजामीन नेतन्याहू
नेतन्याहू के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी पूर्व सेना प्रमुख जनरल बेन्नी गैंट्ज की ब्ल्यू एंड व्हाइट पार्टी ने नेतन्याहू की पार्टी के साथ गठबंधन की सरकार बनाने का फैसला कर उन्हें राजनीतिक संजीवनी प्रदान कर दी है।
बेजुबान पशुओें के स्वास्थ्य के प्रति उदासीनता
बेजुबान पशुओं के रखरखाव और उनकी सेहत के प्रति मौजूदा समय की भौगोलिक परिस्थितियों में खासा बदल आ चुका है। समाज ने जब से पशुधनों को नकारना शुरू किया तभी से तमाम किस्म के पशुओं की प्रजातियां भी लुप्त हो गई हैं।
जीवन-संकटों के बीच उजालों की खोज
मनुष्य जीवन में गैर-जिम्मेदारी एवं लापरवाही की इतनी बड़ी-बड़ी चट्टानें पड़ी हुई हैं, जो मनुष्य-मनुष्य के बीच व्यवधान पैदा कर रही हैं। संकल्प, संयम एवं समर्पण के हाथ इतने मजबूत हैं कि उन चट्टानों को हटाकर आदमी को आदमी से मिला सकता है, जीवन की संभावनाओं को पंख लगा सकता है।
चीन की चालाकी पर ताला
कोरोना महामारी से भारतीय कंपनियों के सामने वित्तीय संकट उपस्थिति हुआ है। ऐसी स्थिति में टेकओवर की मंशा रखने वाले चीन और दूसरे देशों की गिद्ध दृष्टि भारतीय कंपनियों पर लगी हुई थी। सरकार ने समय रहते इन देशों की मंशा को पहचान लिया और एफडीआई नियमों में संशोधन करके चीन सहित दूसरे वर्चस्ववादी देशों के मनसूबों पर पानी फेर दिया ।


























