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Friday, December 19, 2025
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    We must return to Yoga-Ayurveda

    हमें योग-आयुर्वेद की तरफ लौटना ही होगा

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    आयुष मंत्रालय ने छठे ‘विश...
    corona in India

    कोरोना से बेहतर तरीके से निपट रहा भारत

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    भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने कोरोना वायरस को ‘राष्ट्रीय आपदा’ अधिसूचित कर दिया है। यह राज्य सरकारों पर भी लागू होगा।

    कोरोना की मार से परेशान अन्नदाता को मदद चाहिए

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    कोरोना ने तो सबसे ज्यादा अन्नदाताओं की उम्मीदों और भविष्य पर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर दिया है। मजदूर कृषि क्षेत्र से गायब है। मजदूर पलायन कर गये हैं। प्रवासी मजदूर ही गेहूं की कटाई और गेहू बीज निकालने का कार्य्र करते हैं। कोरोना के कारण कृषि मजदूर अपने-अपने घरों में लौट गये।
    How long will the victims of chaos continue?

    अव्यवस्था का शिकार कब तक होते रहेंगे नौनिहाल?

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    आए दिन व्यवस्था के साए तले नौनिहालों की मौत का सिलसिला लगातार जारी है, लेकिन न व्यवस्था अपनी चिरनिद्रा से जाग पा रही और न ही प्रशासन अपनी सजगता दिखा पा रहा।
    After all, why should the labourer be considered helpless

    आखिर मजदूर को मजबूर समझने की गलती क्यों!

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    एक-एक मजदूर की समस्या देश की समस्या है। सरकार को इस पर अपनी आंखें पूरी तरह खोलनी चाहिए। हो सकता है कि इस कठिन दौर में सरकार के सारे इंतजाम कम पड़ रहे हों बावजूद इसके जिम्मेदारी तो उन्हीं की है।

    विश्व अर्थव्यवस्था का भारत को लाभ उठाना होगा

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    भारतीय उद्यमियों को चीन से बाहर आ रही कंपनियों से निवेश आकर्षित करने के लिए जीतोड़ मेहनत करनी होगी। प्रधानमंत्री मोदी ने भी इस अवसर का लाभ उठाने और कोरोना के बाद बहुराष्ट्रीय आपूर्ति श्रृंखला का केन्द्र बनने का आह्वान किया है।

    लॉकडाउन और भय की भावना

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    लॉकडाउन का उद्देश्य महामारी के प्रसार को रोकना है। इस महामारी पर नियंत्रण के लिए लक्षण दिखने वाले रोगियों, जिन रोगियों मे लक्षण न दिख रहें हों और लक्षण से पूर्व के रोगियों को शेष लोगों से अलग रखना है और इसीलिए लॉकडाउन किया गया किंतु आम आदमी इसके उद्देश्य को नहीं समझ पाया।
    Corona crisis facing doctors and medical workers

    कोरोना संकट झेलते डॉक्टर एवं चिकित्साकर्मी

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    केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार पंजीकृत ऐलोपैथी डॉक्टरों की संख्या 11.59 लाख है, किंतु इनमें से केवल 9.27 लाख डॉक्टर ही नियमित सेवा देते हैं। सरकारी अस्पताल व स्वास्थ्य केंद्रों की जो श्रृंखला गांव तक है, उसमें चिकित्सकों व स्वास्थ्यकर्मियों की उपस्थित की अनिवार्यता के साथ उपकरण व दवाओं की मात्रा भी सुनिश्चित हो।

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