निराशा से गरिमापूर्ण जीवन की ओर
हमें प्रवासी श्रमिकों की वर्तमान निराशाजनक स्थिति को एक गरिमापूर्ण जीवन में बदलना होगा और समेकित विकास के रूप में उन्हें अवसर उपलब्ध कराने होंगे। अन्यथा श्रमिकों की दुर्दशा जारी रहेगी।
प्रेरणास्त्रोत: गुरु नानक की करुणा
सेठ ने आश्चर्य का पार न रहा। हाथ जोड़कर बोला- ‘‘गुरुदेव! आप क्या कह रहे हैं?
परलोक में तो मनुष्य कुछ भी नहीं ले जा सकता। सब यहीं का यहीं धरा रह जाता है।’’