डब्लूएचओ बन गया कागजी शेर
सिर्फ दिखाने के लिए ही डब्लूएचओ का अस्तित्व है, वास्तव में उसके पास न तो संकटकाल से लड़ने और संकट काल से बाहर निकलने के लिए कोई कार्यक्रम हैं और न ही सशक्त नीतियां हैं। डब्लूएचओ के बड़े-बडे अधिकारी सिर्फ अपने भाषणों और समिनारों में ही रोगों से लड़ने और रोगों से जीवन बचाने की वीरता दिखाते हैं।
आम-बजट में राहत की उम्मीदें
वित्तमंत्री से इस बार प्रस्तुत होने वाले बजट में राहत की दरकार भी है और उम्मीद भी।
इस बार भी यदि यह बजट जनभावनाओं पर खरा नहीं उतरा तो देश का आर्थिक धरातल चरमरा सकता है।