सीरियल से संस्कारों की शिक्षा
रामायण और महाभारत दोनों सद्ग्रंथ जो सीरियल के रुप में दिखाए जा रहे हैं वह अपने आप में संस्कारों की पाठशाला है। उसके किरदार नैतिक मूल्यों के जीवंतता को समेटे हुए हैं।
मौत बनकर दौड़ी सिस्टम की बिना ब्रेक ट्रेन
कोरोनाकाल में अपने गांव लौट रहे थे। लेकिन बिन बुलाई मौत ने उनको रास्ते में ही घेर लिया। आंखों में नींद थी इसलिए ट्रैक पर ही सो गए, ट्रैक पर सोना मजदूरों की बेबसी थी और मौत की मुनाद। ऐसी मुनाद जिसकी ध्वनि को रेल चालक सुन नहीं सका। वह सरपट मजूदरों पर रेल चलाता हुआ निकल गया। पटरियों पर ही उनकी कब्र खोद गया।