कांग्रेस की ‘खुदकुशी’ कौन रोकेगा?
जब अनुशासन की बागडोर कमजोर होती है, विचार धारा जब स्पष्ट नहीं होती हैं, सक्रियता के राजनीतिक मुददों पर लाभ-हानि का विचार नहीं होता है तब कोई राजनीतिक संगठन कमजोर ही होता है, लगातार पतन की ओर ही जाता है, चुनावों में हार को ही प्राप्त करता है।
महाराष्ट्र में विचित्र सियासी गठबंधन
झूठ और धोखे के इस खेल में भाजपा, राकांपा, शिव सेना और कांग्रेस ने
आज के भारत के सच को उजागर किया है कि सत्ता ही सब कुछ है।
आप यह भी कह सकते हैं कि यही लोकतंत्र है
कोरोना संकट की घड़ी में विपक्षी दल कहां रहे?
लॉकडाउन लगे हुए लगभग पचहतर दिन हो गए। इस दौरान मानवता की सेवा में व्यक्ति, परिवार, समाज, संस्था सभी अपने-अपने स्तर पर लगे हुए हैं, पर इन संकट के क्षणों में विपक्षी दलों ने अपनी कोई प्रभावी एवं सकारात्मक भूमिका नहीं निभाई है।


























