यह तोड़ने का नहीं देश को जोड़ने का समय
दुर्भाग्य देखिए जिस संविधान पर देश चलता। उसी संविधान ने समता और जीवन जीने की स्वतंत्रता दे रखी, लेकिन रहनुमाई बेरुखी ने तो कइयों श्रमिकों की जान ले ली। कोई भूख से मरा तो कोई सिस्टम के नकारेपन की वजह से।
एमएसपी पर स्थिति स्पष्ट करने की आवश्यकता
किसान संगठन सड़कों पर उतर आए हैं और इस फैसले का विरोध कर रहे हैं। किसानों का दावा है कि इस फैसले से किसानों की फसल को व्यापारियों की निर्भरता पर छोड़ दिया है। किसानों के अनुसार निजी सेक्टर मनमर्जी के रेटों पर फसल की खरीद करेंगे और सरकार एमएसपी तय करने से भाग रही है।
निराशा से गरिमापूर्ण जीवन की ओर
हमें प्रवासी श्रमिकों की वर्तमान निराशाजनक स्थिति को एक गरिमापूर्ण जीवन में बदलना होगा और समेकित विकास के रूप में उन्हें अवसर उपलब्ध कराने होंगे। अन्यथा श्रमिकों की दुर्दशा जारी रहेगी।
लॉकडाउन भले हट गया परन्तु कोरोना का खतरा नहीं हटा
लॉकडाउन शुरू होने पर देश में कोरोना के 500 मरीज थे, जिनकी संख्या आज ढाई लाख को पार करने वाली है। विश्व स्वास्थ्य संगठन भी स्पष्ट कर चुका है कि भारत में वायरस तेजी से नहीं फैल रहा लेकिन इसका खतरा अभी टला नहीं। आठ महीने के बाद भी कोरोना वायरस के लिए कोई वैक्सीन नहीं बन सकी इसीलिए सावधानी ही एकमात्र समाधान है।
अर्थ व आहार के संकट से देश को किसान ने बचाया
पिछले तीन माह से चल रहे कोरोना संकट ने अब तय कर दिया है कि आर्थिक उदारीकरण अर्थात पूंजीवादी अर्थव्यवस्था की पोल खुल गई है और देश आर्थिक व भोजन के संकट से मुक्त है तो उसमें केवल खेती-किसानी का सबसे बड़ा योगदान रहा है।
पैंडा भालू एक दिन में 21 किलो तक बाँस खा सकता है
भालू के दांतो में छोटे-छोटे छल्लों की माइक्रोस्कोप की सहायता से गणना करके उसकी आयु का अंदाजा लगाया जा सकता है। भालूयों के खालों की परते होती है। छोटी परत उसे गर्म रखती है जबकि बड़ी परत उसकी चमड़ी और खाल की छोटी परत को पानी से बचाती है।
अवसरवादियों का खेल बनी राजनीति
राजनीति में बढ़ अवसरवादिता की सोच चिंताजनक है। इस्तीफा देने वाले विधायकों की मंशा किसी से भी छिपी नहीं है। यहां मामला विधायकों के दल बदल का नहीं बल्कि लोकतंत्र की आत्मा को कुचल देने का है। अवसरवादी राजनेताओं के लिए सत्ता तिकड़मबाजी का खेल बन गई है।
हांगकांग: स्वायत्तता पर संकट
इस कानून के लागू हो जाने के बाद उनके लोकतांत्रिक अधिकार समाप्त हो जाएंगे और सरकार को चीन के नेतृत्व पर सवाल उठाने, प्रदर्शन में शामिल होने और स्थानीय कानून के तहत अपने मौजूदा अधिकारों का उपयोग करने के लिए हांगकांग निवासियों पर मुकदमा चलाए जाने का अधिकार प्राप्त हो जाएगा।


























