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Sunday, November 16, 2025
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    Time to connect the country, not to break it

    यह तोड़ने का नहीं देश को जोड़ने का समय

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    दुर्भाग्य देखिए जिस संविधान पर देश चलता। उसी संविधान ने समता और जीवन जीने की स्वतंत्रता दे रखी, लेकिन रहनुमाई बेरुखी ने तो कइयों श्रमिकों की जान ले ली। कोई भूख से मरा तो कोई सिस्टम के नकारेपन की वजह से।
    MSP

    एमएसपी पर स्थिति स्पष्ट करने की आवश्यकता

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    किसान संगठन सड़कों पर उतर आए हैं और इस फैसले का विरोध कर रहे हैं। किसानों का दावा है कि इस फैसले से किसानों की फसल को व्यापारियों की निर्भरता पर छोड़ दिया है। किसानों के अनुसार निजी सेक्टर मनमर्जी के रेटों पर फसल की खरीद करेंगे और सरकार एमएसपी तय करने से भाग रही है।
    From despair to dignified life

    निराशा से गरिमापूर्ण जीवन की ओर

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    हमें प्रवासी श्रमिकों की वर्तमान निराशाजनक स्थिति को एक गरिमापूर्ण जीवन में बदलना होगा और समेकित विकास के रूप में उन्हें अवसर उपलब्ध कराने होंगे। अन्यथा श्रमिकों की दुर्दशा जारी रहेगी।
    Lockdown

    लॉकडाउन भले हट गया परन्तु कोरोना का खतरा नहीं हटा

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    लॉकडाउन शुरू होने पर देश में कोरोना के 500 मरीज थे, जिनकी संख्या आज ढाई लाख को पार करने वाली है। विश्व स्वास्थ्य संगठन भी स्पष्ट कर चुका है कि भारत में वायरस तेजी से नहीं फैल रहा लेकिन इसका खतरा अभी टला नहीं। आठ महीने के बाद भी कोरोना वायरस के लिए कोई वैक्सीन नहीं बन सकी इसीलिए सावधानी ही एकमात्र समाधान है।
    Farmer saved the country from the crisis of economy and food

    अर्थ व आहार के संकट से देश को किसान ने बचाया

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    पिछले तीन माह से चल रहे कोरोना संकट ने अब तय कर दिया है कि आर्थिक उदारीकरण अर्थात पूंजीवादी अर्थव्यवस्था की पोल खुल गई है और देश आर्थिक व भोजन के संकट से मुक्त है तो उसमें केवल खेती-किसानी का सबसे बड़ा योगदान रहा है।
    Panda bears can eat up to 21 kg of bamboo in a day

    पैंडा भालू एक दिन में 21 किलो तक बाँस खा सकता है

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    भालू के दांतो में छोटे-छोटे छल्लों की माइक्रोस्कोप की सहायता से गणना करके उसकी आयु का अंदाजा लगाया जा सकता है। भालूयों के खालों की परते होती है। छोटी परत उसे गर्म रखती है जबकि बड़ी परत उसकी चमड़ी और खाल की छोटी परत को पानी से बचाती है।
    Politics became a game of opportunists

    अवसरवादियों का खेल बनी राजनीति

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    राजनीति में बढ़ अवसरवादिता की सोच चिंताजनक है। इस्तीफा देने वाले विधायकों की मंशा किसी से भी छिपी नहीं है। यहां मामला विधायकों के दल बदल का नहीं बल्कि लोकतंत्र की आत्मा को कुचल देने का है। अवसरवादी राजनेताओं के लिए सत्ता तिकड़मबाजी का खेल बन गई है।
    Hong Kong Crisis on Autonomy

    हांगकांग: स्वायत्तता पर संकट

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    इस कानून के लागू हो जाने के बाद उनके लोकतांत्रिक अधिकार समाप्त हो जाएंगे और सरकार को चीन के नेतृत्व पर सवाल उठाने, प्रदर्शन में शामिल होने और स्थानीय कानून के तहत अपने मौजूदा अधिकारों का उपयोग करने के लिए हांगकांग निवासियों पर मुकदमा चलाए जाने का अधिकार प्राप्त हो जाएगा।
    Student Parliament

    इस बार मनेगा सही मायने में पर्यावरण दिवस

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    Economy

    अर्थव्यवस्था को संभालने की आवश्यकता

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