प्रेरणास्त्रोत: दृढ़ निश्चय
जब वह विद्यार्थी अपने निश्चय से टस से मस न हुआ तब गोरे हेडमास्टर साहब बोले, ‘यह विद्यार्थी किसी दिन बड़ी से बड़ी शक्ति को हिला देगा।
पब्जी का कहर और लापरवाह अभिभावक
पंजाब में एक सप्ताह में दो बच्चों की पब्जी गेम से मौत दर्दनाक व चिंतनीय विषय है। चिंता इस बात की है कि यह गेम धीमा जहर है, इस मामले में न तो समाज और न ही सरकारें कोई नोटिस ले रही हैं। कंपनियां और गेम्स खेलने वाले लोग पर्दे के पीछे रहकर अपने कारोबार के लिए बच्चों को खतरनाक मनोरंजन परोस रहे हैं।
डब्ल्यूएचओ पर संदेह का कारण
डब्ल्यूएचओ निदेशक गेब्रेयसस जिन तौर-तरीकों से इस वैश्विक संगठन का संचालन किया है, उन्हें किसी भी रूप में उचित नहीं कहा जा सकता है। सार्वजनिक स्वास्थ्य मसलों और अपने आपदा नियंत्रण अनुभवों के लिए विश्व स्तर पर पहचान रखने वाले ग्रेब्रेयसस उसी वक्त सतर्क क्यों नहीं हो गए थे जब 7 जनवरी को चीन ने कोरोना वायरस के फैलने की सूचना उन्हें दी थी।
प्रेरणास्त्रोत: लेखक की पत्नी
'भामती' की रचना के पीछे एक त्याग भरी कहानी है। 'भामती' वाचस्पति पंडित के संपूर्ण जीवन की साधना है। उन्होंने इसकी रचना में लगभग अपना पूरा जीवन लगा दिया।
चीन के प्रति बढ़ती अविश्वसनीयता
हाल ही में जारी रिपोर्ट से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का दावा भी सच साबित हुआ है, जिसमें उन्होंने कहा था कि चीन कोविड-19 की वास्तविक्ता को छुपा रहा है और इसकी जानकारी भी देरी से दी है। केवल अमरीका ही नहीं बल्कि अन्य देशों में भी यह धारणा बन रही थी कि चीन अपने मृतकों की गिनती सही नहीं बता रहा।
बुजुर्गों की ‘मनोदशा’ को न होंने दें ‘लॉक’
लॉकडाउन में बुजुर्गों को कभी अकेला न रहने दें। अकेलापन उनके भीतर निराशा और हताशा का भाव पैदा करता है। जिसकी वजह से जीवन में नैराश्यता का भाव पैदा होता है। उम्र दराज लोगों से हमेशा बातचीत करते रहिए। उनके भीतर संवाद शून्यता का भाव पैदा न होने पाए।
लॉकडाउन के बाद क्या होगा?
कभी किसी धार्मिक स्थान के लोग इसका कारण बनते हैं, कभी देश में ईधर से उधर हिल-जुलकर रहे प्रवासी मजदूर। अब तो अखबार बांटने वाले हॉकर एवं फूड सप्लाई ब्वॉय भी कोरोना को अंजाने में मदद कर रहे हैं। अत: कोरोना के विरुद्ध रैण्डम जांच व बड़े पैमाने पर जांच बेहद जरूरी हो गई है।
महामारी: समेकित कार्यवाही की आवश्यकता
संपूर्ण लॉकडाउन विश्व का सबसे बडा मनोवैज्ञानिक परीक्षण है और इससे तनाव से जुड़ी अनेक समस्याएं पैदा होने की संभावना है। क्वारंटीन न केवल शारीरिक रूप से परेशानियां पैदा कर रहा है अपितु इसका मानसिक र्प्रभाव भी पड रहा है जो जीवन भर रह सकता है।
बापू-रामचरितमानस
गांधीजी रामचरित मानस के बड़े प्रशंसक थे। वे तुलसीदास रचित इस कृति को संसार का अनुपम ग्रंथ मानते थे।
अस्थियों का प्रवाह रूका, परन्तु कल्याण के रास्ते अभी भी खुले
दुनिया भर में अनेकों रीतियां हैं जिनसे लोग अपने मृतक परिवारिक सदस्यों को अंतिम विदायगी देते हैं। जल की तरह भूमि भी पवित्र है। भूमि भी जीवन दायनी है। अगर मृत शरीर पुन: जीवन दायनी की गोद में चला जाता है तब बुरा ही क्या है?


























