कोरोना में आशा की नई किरण- एमपीलैड लूट पर रोक
नियंत्रक महालेखा परीक्षक की विभिन्न रिपोर्टों में कहा गया है कि यह राशि जनकल्याण के लिए है किंतु इसका एक बड़ा हिस्सा लोगों की जेब में चला जाता है। सांसद और विधायक जिला मजिस्ट्रेट के साथ सांठगांठ कर यह सुनिश्चित करता है कि लागत को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाकर प्रत्येक योजना में ठेकेदारों से उसे कमीशन दिया जाए।
हकीम का फर्ज
वह दूसरे राज्यों में भी रोगियों को देखने जाया करते थे। पैसे, मान-सम्मान की भूख उनको बिलकुल नहीं थी। सेवा ही उनके जीवन का लक्ष्य थी।
कोरोना के खिलाफ भारत एकजुट
देश में कोरोना के खिलाफ धार्मिक, सामाजिक और राजनैतिक तौर पर जनता की एकजुटता ने मिसाल कायम की है। आम लोगों ने जिम्मेदारी, जागरूकता व देश के प्रति समर्पण की भावना दिखाई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लॉकडाऊन बढ़ाने के बावजूद लोग देश के लिए एकजुट हैं।
खास होगा लॉकडाउन का दूसरा चरण
देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्र को सम्बोधित करते हुए लॉक डाउन की अवधि को 3 मई तक के लिए बढ़ा दिया है, ऐसे में आशा जगती है कि आने वाले दिन देश के खास होंगे। लॉकडाउन-2 में पूरी तरह पता चल जाएगा कि हम कोरोना संक्रमण को रोकने में कहां तक सफल रहे हैं।
महामारी के समय युद्ध अभ्यास क्यों
हैरानी इस बात की है कि पूरी दुनिया इस वक्त कोरोना वायरस से जूझ रही है, फिर भी चीन मिसाइलों का परीक्षण कर रहा है। प्रश्न यह उठ रहा है कि फिर चीन को इस वक्त किस देश से खतरा है? जबकि चीन द्वारा युद्ध की तैयारियां हो रही हैं। ऐसे में चीन की नीयत पर सवाल उठना जायज है।
डब्लूएचओ बन गया कागजी शेर
सिर्फ दिखाने के लिए ही डब्लूएचओ का अस्तित्व है, वास्तव में उसके पास न तो संकटकाल से लड़ने और संकट काल से बाहर निकलने के लिए कोई कार्यक्रम हैं और न ही सशक्त नीतियां हैं। डब्लूएचओ के बड़े-बडे अधिकारी सिर्फ अपने भाषणों और समिनारों में ही रोगों से लड़ने और रोगों से जीवन बचाने की वीरता दिखाते हैं।
साख का सवाल
किसी भी कंपनी की सफलता ग्राहकों के विश्वास के दम पर होती है। मैं इस साख को नहीं गिरने दूंगा, चाहे मुझे कितना भी बड़ा नुकसान क्यों न उठाना पड़े।
जीवन पर खतरा, आर्थिक भविष्य की चिंता बेमतलब
आर्थिक तरक्की के चलते पूरी दुनिया ने अपना हवा, पानी, वन, मिट्टी, जीव जन्तु सब तहस-नहस कर लिए हैं। प्रकृति ने आर्थिक पहिये को जरा सा रोककर फिर से मनुष्य की हवा, पानी, मिट्टी, वनों की साफ-सफाई शुरू कर दी है वह भी बड़ी तेजी के साथ, जोकि मनुष्य अरबों रूपये के सफाई एवं पर्यावरण संरक्षण प्रोजेक्ट बनाकर भी नहीं कर पा रहा था।
सीमा पर खून खराबा-भारत इसे कैसे रोके?
यह वास्तव में बहुत आहत करने वाली बात है कि जब संपूर्ण विश्व मानव के अस्तित्व के लिए मुकाबला कर रहा है तो हमारी सीमाओं पर पाकिस्तान द्वारा भ्रमित लोगों द्वारा ऐसी कार्यवाही की जा रही है।


























