हौसला व एकजुटता जरूरी
प्रधानमंत्री के संदेश का सवाल है जब करोड़ों लोग संकट में हों तब उन्हें हौसला देने के लिए प्रेरणादायक कार्य करना पड़ता है। जहां तक हो सके नेक कार्यों में सहयोग करना चाहिए। ताकत व एकता के बिना कोई भी लड़ाई नहीं लड़ी जा सकती। दरअसल एकता में ही ताकत होती है।
दीये जलाने की प्रेरणा से कोरोनामुक्ति का संकल्प
रोशनी यानी दीया। दीया प्रकाश का प्रतीक है और तमस को दूर करता है। यही दीया हमारे जीवन में रोशनी के अलावा हमारे लिये जीवन की सीख भी है, जीवन बचाव का साधन भी है, संयम की प्रेरणा एवं महासंकट से मुक्ति का पथ भी है
धर्मान्धता घातक
धर्म किसी के भी सताने या उत्पीड़ित करने की शिक्षा नहीं देता। बेहतर होगा धर्म के साथ-साथ अपने देश व विज्ञान की शिक्षा भी ली जाए जो सिखा सके कि आखिर धर्म कैसे समाज का सृजन चाहते हैं।
काम करने का तरीका
मजदूर यह सुनकर हैरानी से युवक को देखते हुए बोला,'तुम अगर ऐसा कर सकते हो तो बहुत अच्छी बात है। मैं उस तरकीब को अवश्य सीखना चाहूंगा।
कोरोना संकट झेलते डॉक्टर एवं चिकित्साकर्मी
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार पंजीकृत ऐलोपैथी डॉक्टरों की संख्या 11.59 लाख है, किंतु इनमें से केवल 9.27 लाख डॉक्टर ही नियमित सेवा देते हैं। सरकारी अस्पताल व स्वास्थ्य केंद्रों की जो श्रृंखला गांव तक है, उसमें चिकित्सकों व स्वास्थ्यकर्मियों की उपस्थित की अनिवार्यता के साथ उपकरण व दवाओं की मात्रा भी सुनिश्चित हो।
भोजन बर्बाद न करें
'आप उतना ही खाना ऑर्डर करें, जितना खा सकें। माना कि पैसा आपका है परंतु देश के संसाधनों पर हक तो पूरे समाज का है! और कोई भी इन्हें बर्बाद नहीं कर सकता, क्योंकि देश में कितने ही लोग ऐसे हैं जो भूखे रह जाते हैं।'
महामारी के विरुद्ध अपने नेताओं की सुनें देशवासी
संयुक्त राष्ट्र के जनरल सचिव एनटोनियो गुटेरेस का कहना है कि दूसरे विश्व युद्ध के बाद मानवीय जाति के समक्ष कोरोना वायरस सबसे बड़ा संकट बना है।
2020: नर्सों और मिडवाइफ का वर्ष
जब वर्ष 2020 को नर्सो का वर्ष घोषित किया गया तो कोविड - 19 दूर दूर तक नहीं था और यह कार्य उनकी सेवाओं को ध्यान में रखकर किया गया था। स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली की श्रम शक्ति में नर्सों की संख्या 50 प्रतिशत से अधिक है।
जीवन की कीमत
यदि कोई व्यक्ति मौत को अपने करीब से देख ले तो वह हर हाल में खुश रह सकता है। जीवन के हर पल को नेकी, ईमानदारी और जिंदादिली से जीना शुरू करें । जीवन के महत्व को समझे ।
लापरवाह लोगों को दंड मिले
सवाल यह है कि देश भर में लॉकडाउन व लॉकडाउन लागू होने से पहले इतने बड़ी संख्या में लोग निजामुद्दीन मरकज में कैसे इक्ट्ठे हो गए? इससे दिल्ली पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठना स्वाभाविक है।


























