साइकिल का महत्व

Bicycle
सेहत के लिए वरदान है साइकिल की सवारी

तीन मई को देश भर में साइकिल (Bicycle) दिवस मनाया गया। प्रत्येक शहर में साइकिल रैलियां निकाली गई। इस आयोजन के लिए स्वास्थ्य विभाग बधाई का पात्र है। नि:संदेह साइकिल का स्वास्थ्य व वातावरण से अटूट संबंध है। यह कहना गलत नहीं होगा कि मनुष्य आधुनिकता की दलदल में फंसकर दूषित वातावरण में जी रहा है, यही कारण है कि आज मनुष्य को बीमारियों ने जकड़ लिया है। साइकिल मनुष्य के स्वस्थ रहने के साथ-साथ पर्यावरण के लिए भी अनुकूल है। मोटर वाहनों के चलन में आने से जहां निरंतर प्रदूषण बढ़ रहा है वहीं मनुष्य को भी आलसी बना दिया है। मनुष्य लग्जरी वाहनों व दफ्तरों तक सीमित होकर रह गया है। यह भी दुखांत है कि साइकिल को गरीबी का प्रतीक समझा जाने लगा है। लोग साइकिल को अपने स्टेट्स के खिलाफ समझने लगे हैं।

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आजकल के युवा तो साइकिल चलाने में शर्म महसूस करते हैं। अब बड़े से लेकर छोटे काम के लिए भी साइकिल की बजाए बाइक का इस्तेमाल होने लगा है। किसी वक्त लोग शहर व बाजार जाने के लिए 10-20 किलोमीटर तक भी साइकिल चलाते थे, लेकिन आजकल 50-100 मीटर दूरी पर जाने के लिए भी गाड़ी का प्रयोग किया जाने लगा है। पुरात्तन समय में दामाद भी साइकिल पर अपने ससुराल जाने पर गर्व महसूस करते थे। दरअसल, हमारे समाज में एक-दूसरे को देखादेखी का भी बुरा चलन है, जबकि विकसित देशों में कोई भी व्यक्ति यह नहीं सोचता कि ‘लोग क्या कहेंगे’। वे बिना किसी शर्म के साइकिल चलाते हैं। यहीं नहीं यूनिवर्सिटीज व कॉलेजों में भी अधिकतर विद्यार्थी साइकिल पर ही जाते हैं। फिनलैंड विश्व भर में साइकिल का प्रयोग करने में अव्वल देश है।

वास्तव में हमारी पुरात्तन जीवनशैली सबसे सर्वोत्तम है। यह न तो पिछड़ी है और न ही खर्चीली, साथ में वातावरण के भी अनुकूल है। हमें स्वस्थ और वातवरण की शुद्धता के लिए पुन: साइकिल के साथ जुड़ना होगा। विशेष तौर पर दिल्ली जैसे महानगरों में साइकिल का प्रयोग बेहद आवश्यक है। अब तक सरकारें पर्यावरण को शुद्ध करने के लिए अरबों रुपये खर्च कर चुकी है, लेकिन हालात ज्यों के त्यों हैं। सरकारों को चाहिए कि वे लोगों को साइकिल का प्रयोग करने के लिए प्रोत्साहित करे, सड़कों पर साइकिल यात्रियों के लिए सुरक्षित लेन हों। साइकिल कंपनियों के साथ बात कर सस्ते साइकिलों का निर्माण करवाए। प्राइवेट कंपनी 16 हजार से 2 लाख रुपये तक के साइकिल बना रही हैं।

साइकिल कल्चर पैदा करने के लिए आवश्यक है कि नई पीढ़ी को जोड़ा जाए। सुंदर साइकिल महंगे हैं। साइकिल जितना सस्ता होगा उतना उसका प्रचलन बढ़ेगा। यह भी आवश्यक है कि समाज के मौजिज लोग भी साइकिल का प्रयोग करें ताकि आमजन का भी इसके प्रति रुझान बढ़े। कुछ आईएएस व आईपीएस अधिकारियों ने भी साइकिल पर कार्यालय आने की मिसाल कायम की लेकिन इसे दिनचर्या में नियमित रूप से अपनाने की आवश्यकता है, यह केवल साइकिल दिवस तक सीमित नहीं होना चाहिए।