रंजीत सिंह हत्या मामले में गवाह खट्टा सिंह झूठा, हमारा नहीं कोई लेना-देना, हाईकोर्ट द्वारा पटीशन स्वीकार

High Court sachkahoon

पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां द्वारा हाईकोर्ट में दी गई निचली अदालत के फैसले को चुनौती

  • हाईकोर्ट द्वारा पटीशन स्वीकार करते हुए जुर्माने की रकम पर लगाई रोक

सच कहूँ/अश्वनी चावला, चंडीगढ़। रंजीत हत्या मामले में गवाह खट्टा सिंह झूठा है और बार-बार अपने बयानों को बदल रहा है, इसलिए खट्टा सिंह के बयान पर विश्वास नहीं किया जा सकता। रंजीत सिंह हत्या मामले के साथ हमारा कोई लेना-देना नहीं है, यह एक साजिशन तरीके से फंसाने की कोशिश की गई है। इस मामले में केवल एक ही गवाह निचली अदालत में पेश हुुआ है व उस गवाह खट्टा सिंह पर कानून अनुसार विश्वास नहीं किया जा सकता। इसलिए निचली अदालत द्वारा सुनाए गए फैसले को रद्द किया जाए। यह पटीशन डेरा सच्चा सौदा के पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट लगाई है।

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा इस मामले में सुनवाई करते हुए पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की पटीशन को स्वीकार कर लिया गया है। इसके साथ ही निचली अदालत की तरफ से लगाए गए जुर्माने की लाखों रूपये की रकम पर भी रोक लगा दी गई है।

पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के वकीलों की ओर से बताया गया कि रंजीत सिंह हत्या मामले में जो भी तथ्य निचली अदालत के सामने सीबीआई की तरफ से रखे गए थे, उन तथ्यों का आपस में ही मिलान नहीं हुआ है। पूरे मामले में एकमात्र गवाह पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के खिलाफ पेश हुआ है। गवाह ने एक बार नहीं बल्कि कई बार अपने बयानों को बदला है।

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में जस्टिस तिवाड़ी की डबल बैंच द्वारा एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा गया था कि जो एक व्यक्ति कसम खाकर बार-बार अलग-अलग बयान दे रहा है तो उस गवाह पर विश्वास नहीं किया जा सकता कि उसकी तरफ से दिया गया कौनसा बयान सच्चा है और कौनसा बयान झूठा है। क्योंकि बार-बार बयान देने मौके हर बार उसकी तरफ से कसम खाई गई है। इसलिए ऐसे गवाह पर बिल्कुल भी विश्वास नहीं किया जा सकता है।

हाईकोर्ट में वकीलों द्वारा यह भी कहा जा रहा है कि देशभर की कई बड़ी अदालतों द्वारा खट्टा सिंह जैसे बार-बार बयान बदलने वाले गवाहों को झूठा और विश्वास न करने वाला करार दिया गया है, जबकि निचली अदालत द्वारा इस तरह के विश्वास न किए जाने वाले गवाह पर विश्वास करते हुए सजा सुनाई गई है। माननीय हाईकोर्ट द्वारा इस मामले की पटीशन को स्वीकार करते हुए जुुर्माने की रकम पर स्टे लगा दिया गया है।

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