भारत का सबसे ऊंचा मंदिर बना तो पर्यावरण खतरा, एनजीटी का नोटिस

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मंदिर निर्माण को रोकने की मांग  Environmental Danger

नई दिल्‍ली (एजेंसी)। एनजीटी की दाखिल की गई एक याचिका में इस्‍कॉन के नेतृत्‍व में मथुरा में बनने वाले चंद्रोदय मंदिर का निर्माण रोकने की मांग की गई है। इसके लिए धार्मिक सोसाइटी और केंद्रीय ग्राउंड वाटर अथॉरिटी (सीजीडब्‍लूए) को नोटिस जारी किया गया है।याचिका में आरोप लगाया गया है कि इस्‍कॉन द्वारा बनाए जाने वाले वृंदावन चंद्रोदय मंदिर के निर्माण से यमुना के आसपास का पर्यावरण प्रभावित (  Environmental Danger ) होगा और क्षेत्र का भूजल स्‍तर पर भी असर पड़ेगा।

एनजीटी के जस्टिस आदर्श कुमार गोयल ने इंटरनेशनल सोसाइटी फार कंससनेस (इस्‍कॉन) और सीजीडब्‍लूए से 31 जुलाई से पहले जवाब मांगा है।

इस्‍कॉन बेंगलुरु द्वारा  मथुरा में किया जाएगा निर्माण  Environmental Danger

पर्यावरण कार्यकर्ता मणिकेश चतुर्वेदी ने दुनिया के सबसे बड़े मंदिर के निर्माण को रोकने की मांग की है। याचिका में कहा गया है कि प्रस्‍तावित मंदिर की बाउंड्री के चारों ओर कृत्रिम तालाब होगा। इसके लिए जमीन से बड़े पैमाने का पानी का दोहन किया जाएगा। इससे यमुना नदी की अस्तित्‍व की सीमा तक पानी में कमी आ सकती है।

सबसे बड़े मंदिर की क्‍या है खासियत  Environmental Danger

  • मंदिर के निर्माण पर 300 करोड़ रुपये खर्च किया जाएगा।
  •  इस्‍कॉन बेंगलुरु द्वारा दुनिया के सबसे महंगे मंदिर का निर्माण मथुरा में किया जाएगा।
  •  मंदिर की ऊंचाई 7 सौ फीट होगी और इसका निर्माण 5,40,000 वर्ग फीट में किया जाएगा।
  •  शानदार मंदिर के लिए सशक्‍त जंगल का पुनर्निर्माण किया जाएगा।
  • यह मंदिर 26 एकड़ क्षेत्र में फैला होगा।  इसमें ब्रज के 12 जंगलाेें का निर्माण होगा, जिसमें सुंदर वनस्‍पतियां, झीलें और झरने शामिल होंगे।
  • मंदिर का कुल क्षेत्रफल 62 एकड़ होगा, जिसमें 12 एकड़ पार्किंग और हेलीपैड के लिए होगा।

 मंदिर की नींव होगी बुर्ज खलीफा से भी गहरी   Environmental Danger

चंद्रोदय मंदिर दो सौ मीटर से अधिक ऊंचा होगा। साढ़े पांच एकड़ के इलाक़े में बनने वाले इस मंदिर में 70 मंजिलें होंगी। अभी दुनिया की सबसे ऊंची धार्मिक इमारत मिस्र के पिरामिड हैं, जो कि 128.8 मीटर ऊंचा है। वहीं वेटिकन का सेंट पीटर बैसेलिका 128.6 मीटर ऊंचा है। रॉकेट के आकार का चंद्रोदय मंदिर भूकंप प्रतिरोधी होगा।इसके निर्माण में 45 लाख घन फीट कंक्रीट और करीब साढ़े 25 हज़ार टन लोहे का इस्तेमाल होगा।

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