Gujarat: पूर्व आईपीएस संजीव भट्ट की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा अपडेट

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Former IPS Sanjiv Bhatt Rejects Bail Plea: नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने गुजरात के पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को एक बार फिर बड़ी कानूनी निराशा दी है। अदालत ने वर्ष 1996 के अफीम प्रकरण में मिली 20 वर्ष की सज़ा के निलंबन तथा जमानत की उनकी याचिका को अस्वीकार कर दिया। आरोपों के अनुसार, भट्ट पर राजस्थान के एक अधिवक्ता को फँसाने हेतु होटल कक्ष में अवैध रूप से अफीम रखवाने का आरोप है। Gujarat News

न्यायमूर्ति जे.के. माहेश्वरी और न्यायमूर्ति विजय बिश्नोई की खंडपीठ ने याचिका पर विस्तृत सुनवाई की और माना कि इस चरण पर किसी प्रकार की राहत देने का कोई आधार नहीं बनता। संजीव भट्ट कई वर्षों से कारावास में हैं और पहले भी कई बार जमानत के लिए गुहार लगा चुके हैं।

भट्ट की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने दलील दी कि उनके मुवक्किल लंबी अवधि तक सज़ा काट चुके हैं और बरामद अफीम की मात्रा भी वाणिज्यिक श्रेणी में नहीं आती। उन्होंने यह भी बताया कि भट्ट की स्वास्थ्य स्थिति चिंताजनक है, ऐसे में उन्हें अंतरिम राहत मिलनी चाहिए। Gujarat News

गुजरात सरकार की ओर से अधिवक्ता ने जमानत का कड़ा विरोध किया

वहीं, गुजरात सरकार की ओर से प्रस्तुत अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने जमानत का कड़ा विरोध किया। उन्होंने कहा कि यह मामला मात्र अवैध पदार्थ रखने का नहीं, बल्कि एक व्यक्ति को झूठे आरोप में फँसाने की गंभीर साजिश से जुड़ा है। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि अधिकारी पद का दुरुपयोग करते हुए हथकंडे अपनाए गए, जिससे यह अपराध एनडीपीएस अधिनियम के तहत अत्यंत गंभीर बन जाता है।

उल्लेखनीय है कि यह घटना 1996 की है, जब संजीव भट्ट बनासकांठा जिले में पुलिस अधीक्षक के पद पर तैनात थे। उसी समय राजस्थान के अधिवक्ता सुमेरसिंह राजपुरोहित को पालनपुर के एक होटल से अफीम मिलने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। बाद में जांच में यह सामने आया कि यह मामला कथित रूप से रचा गया था। वर्ष 1999 में तत्कालीन पुलिस निरीक्षक आई.बी. व्यास की शिकायत पर इस प्रकरण की जांच शुरू हुई और आगे चलकर भट्ट के विरुद्ध मुकदमा दर्ज हुआ। Gujarat News