Guru Gobind Singh Ji’s Birth anniversary: नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने शनिवार को सिख धर्म के दशम गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी (Guru Gobind Singh Ji) के पावन प्रकाश पर्व के अवसर पर उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किए। उन्होंने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक भावपूर्ण संदेश साझा करते हुए कहा कि श्री गुरु गोबिंद सिंह जी का व्यक्तित्व साहस, करुणा और त्याग की अनुपम मिसाल है। प्रधानमंत्री ने अपने संदेश में उल्लेख किया कि गुरु साहिब का जीवन सत्य, न्याय और धर्म की रक्षा के लिए अडिग रहने की प्रेरणा देता है तथा मानवीय मर्यादा के संरक्षण का मार्ग प्रशस्त करता है। उनका दिव्य चिंतन और दृष्टि पीढ़ी दर पीढ़ी सेवा, कर्तव्यनिष्ठा और निस्वार्थ भाव का पथ दिखाती रही है। Prakash Parv 2025
प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर वर्ष के आरंभ में तख्त श्री हरिमंदिर जी पटना साहिब की अपनी यात्रा से जुड़ी कुछ स्मरणीय झलकियां भी साझा कीं। इन चित्रों में उन्हें गुरुद्वारे में अरदास करते, जोड़ा साहिब के दर्शन करते तथा सेवादारों के साथ लंगर सेवा में योगदान देते हुए देखा जा सकता है।
दिल्ली की मुख्यमंत्री ने श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के प्रकाश पर्व पर शुभेच्छाएं व्यक्त कीं
दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने भी श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के प्रकाश पर्व पर शुभेच्छाएं व्यक्त कीं। उन्होंने ‘एक्स’ पर अपने संदेश में लिखा कि अन्याय और अत्याचार के विरुद्ध जनचेतना को जागृत करने वाले, खालसा पंथ के संस्थापक और ‘सरबंस दानी’ श्री गुरु गोबिंद सिंह जी का जीवन शौर्य, त्याग और आध्यात्मिक ऊंचाइयों का अद्वितीय संगम है। उन्होंने कहा कि गुरु साहिब ने मानवता को यह संदेश दिया कि धर्म, सत्य और मर्यादा की रक्षा हेतु सर्वस्व समर्पण करना ही सर्वोच्च कर्तव्य है। Prakash Parv 2025
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि गुरु गोबिंद सिंह जी के आदर्श, उनका बलिदान और गुरु परंपरा के प्रति उनकी अटूट निष्ठा युगों तक समाज और राष्ट्र का मार्गदर्शन करती रहेगी। उन्होंने दशम गुरु के चरणों में नमन करते हुए यह भी कहा कि सत्य, सेवा और त्याग के उनके सिद्धांतों को जीवन में उतारना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धा है।
उल्लेखनीय है कि श्री गुरु गोबिंद सिंह जी सिखों के दसवें एवं अंतिम गुरु थे। तख्त श्री हरिमंदिर जी पटना साहिब वह पावन स्थल है, जहां वर्ष 1666 में उनका अवतरण हुआ। उन्होंने खालसा पंथ की स्थापना कर समानता, साहस और न्याय का संदेश दिया। मुगल शासन के अत्याचारों के विरुद्ध उन्होंने धर्मयोद्धा के रूप में संघर्ष किया और पंच प्यारों को अमृतपान कराकर खालसा परंपरा का सूत्रपात किया, जो आज भी धर्म और मानवता की रक्षा का प्रतीक मानी जाती है।















