गुरुग्राम में समय पर यूनिट नहीं देने पर आईएलडी बिल्डर को 60 दिन की जेल

  • गुरुग्राम में पहली बार रेरा कोर्ट का यह बड़ा निर्णय
  • समय पर यूनिट का कब्जा नहीं देने को लेकर दिया यह फैसला
  • 31 अक्टूबर को एओ कोर्ट द्वारा गिरफ्तारी वारंट जारी किया था

गुरुग्राम। (संजय कुमार मेहरा) रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण (रेरा) गुरुग्राम ने गुरुवार को आईएलडी बिल्डर प्रबंधक सलमान अकबर को 60 दिनों की सजा सुनाते हुए भोंडसी जेल भेज दिया। सहायक अधिकारी (एओ) रेरा गुरुग्राम राजेंद्र कुमार ने गरिमा गुप्ता बनाम आईएलडी मिलेनियम प्राइवेट लिमिटेड के मामले में कारावास की सजा सुनाई। पुलिस को एओ कार्यालय के आदेश में कहा गया है कि आप 60 दिनों के लिए नागरिक सुधार में सलमान अकबर को हिरासत में लेने और एओ के सामने उसकी नजरबंदी के 60वें दिन पेश करने के लिए अधिकृत हैं। इससे पहले 31 अक्टूबर को एओ कोर्ट द्वारा गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया था, जिसमें पुलिस को 21 दिसंबर, 2022 को या उससे पहले एओ कोर्ट के समक्ष सलमान अकबर को पेश करने के लिए कहा गया था।

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आईएलडी मिलेनियम प्राइवेट लिमिटेड को गरिमा गुप्ता बनाम आईएलडी मिलेनियम प्राइवेट लिमिटेड मामले में 2018 की शिकायतकर्ता संख्या 1941 में प्राधिकरण/एओ के एक डिक्री द्वारा अधिनिर्णित किया गया था, जिसमें 8 फरवरी, 2019 को डिक्री-धारक को 2730376 रुपये की राशि का भुगतान करने का निर्णय लिया गया था। और डिक्री धारक को उसका भुगतान नहीं किया गया। निर्णय देनदार के निदेशकों को एओ कायाज़्लय द्वारा अपनी संपत्ति की सूची दाखिल करने के लिए बुलाया गया था और डिक्री को पूरा करने के लिए अपनी संपत्ति का विवरण बताते हुए एक हलफनामा दायर किया था। एक अवसर देने के बावजूद वे निर्णायक अधिकारी के आदेशों की जान-बूझकर अवज्ञा करने के लिए जवाब देने में विफल रहे। पहले जारी किए गए गिरफ्तारी वारंट में कहा गया है।

शिकायतकर्ता गरिमा गुप्ता ने जनवरी 2013 में एक समझौते को निष्पादित करते हुए आईएलडी स्पायर ग्रीन्स, सेक्टर-37 में एक इकाई बुक की थी। प्रमोटर को जुलाई 2016 में कब्जा सौंपना था, लेकिन वह आवंटी गरिमा गुप्ता को कब्जा देने में विफल रहे। आवंटी ने नवंबर 2018 में रेरा कोर्ट में शिकायत दर्ज कराई, जिसमें प्रमोटर पर यूनिट का कब्जा सौंपने में देरी करने और सुपर एरिया के लिए ओवरचार्जिंग करने का आरोप लगाया। साथ ही देरी से कब्जा शुल्क लेने की मांग की। प्राधिकरण ने पीडि़त आवंटी के पक्ष में आदेश पारित किया। जिसमें प्रतिवादी प्रमोटर को 12 नवंबर को ओसी प्राप्त करने के बाद यूनिट के वास्तविक कब्जे को सौंपने तक शिकायतकर्ता द्वारा भुगतान की गई राशि पर देरी के हर महीने के लिए ब्याज का भुगतान करने के लिए कहा गया। बाद में दिसंबर 2021 में शिकायतकर्ता आवंटी ने रेरा अदालत के आदेश के पालन के लिए निर्णायक अधिकारी की अदालत में एक याचिका दायर की कि प्रमोटर ने इसका पालन नहीं किया।

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