लंबित ट्यूब्वेल कनेक्शनों पर हरियाणा विधानसभा में हुआ हंगामा

Haryana Assembly
मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर

अगर सब्सिडी बंद करने की मंजूरी दें तो सभी को दें देंगे कनेक्शन : सीएम

  • बोले-भूमिगत जल स्तर को ध्यान में रखकर लिया जाएगा फैसला
  • आंकड़ों को लेकर भी उलझे भाजपा और कांग्रेसी विधायक

चंडीगढ़ (सच कहूँ न्यूज)। किसानों के लंबित ट्यूबवेल कनेक्शन पर बुधवार को प्रश्नकाल के दौरान विधानसभा में जमकर हंगामा हुआ। कांग्रेस ने मांग की कि सरकार सभी लंबित कनेक्शन जारी करे। सरकार ने दो-टूक कहा कि भूमिगत जलस्तर को ध्यान में रखकर ही कदम उठाए जाएंगे। सीएम मनोहर लाल ने यहां तक कह दिया कि अगर पूरा सदन सहमत हो तो बिना सब्सिडी के कनेक्शन जारी करने का निर्णय लिया जाए। हम सभी कनेक्शन तुरंत जारी कर देंगे। इस दौरान कांग्रेस और भाजपा में आंकड़ों को लेकर भी कहासुनी हुई। मुलाना विधायक वरुण चौधरी ने यह मुद्दा उठाया था। उन्होंने कहा कि 80 हजार से अधिक किसानों के आवेदन लंबित हैं, लेकिन सरकार कनेक्शन जारी नहीं कर रही।

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सिर्फ 4722 आवेदन लंबित: चौ. रणजीत सिंह

इस पर बिजली मंत्री चौ. रणजीत सिंह ने कहा कि 2018 से पहले आवेदन करने वाले और पैसा जमा करवाने वाले 76 हजार से अधिक किसानों को कनेक्शन जारी किए जा चुके हैं। केवल 4722 आवेदन ही लंबित हैं और उन्हें भी अप्रैल के आखिर तक ट्यूबवेल कनेक्शन दिए जाएंगे। वरुण ने जब फिर से यही मुद्दा उठाया तो उन्होंने कहा कि 2018 के बाद आवेदन करने वाले किसानों को अभी तक डिमांड नोटिस ही नहीं भेजे हैं। पहले पुराने आवेदकों को कनेक्शन दिए जाएंगे। इसके बाद चरणबद्ध तरीके से नये कनेक्शन के डिमांड आर्डर जारी होंगे।

सूक्ष्म सिंचाई को बढ़ावा दे रही सरकार

मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने मोर्चा संभालते हुए कहा कि सभी कनेक्शन जारी कर पाना संभव भी नहीं है। उन्होंने कहा कि भूमिगत जलस्तर लगातार नीचे जा रहा है। ऐसे में सरकार ने सूक्ष्म सिंचाई परियोजनाओं को बढ़ावा दिया है। जो किसान माइक्रो इरिगेशन को अपनाते हैं उन्हें कनेक्शन जारी करने में आपत्ति नहीं है। 10 हॉर्स पावर क्षमता तक वाले कनेक्शन सौर ऊर्जा के दिए जाएंगे। इससे अधिक पर भी उन्हीं किसानों को कनेक्शन दिए जाएंगे, जो सूक्ष्म सिंचाई परियोजना को अपनाते हैं। उन्होंने कहा कि सभी को ओपन कनेक्शन देना संभव नहीं है।

राइट टू सर्विस एक्ट के अधीन लाने की उठी मांग

वरुण ने ट्यूबवेल कनेक्शन को राइट-टू-सर्विस एक्ट के अधीन लाने की मांग की। मुख्यमंत्री ने कहा कि इसे सेवा का अधिकार अधिनियम के तहत लाना संभव नहीं है। चूंकि ट्यूबवेल कनेक्शन में तीन घटक होते हैं। पहला है प्राकृतिक, दूसरा पानी की उपलब्धता और तीसरा बजट। वर्तमान में छह लाख से अधिक कनेक्शन चल रहे हैं। एक कनेक्शन पर औसतन सालाना एक लाख रुपये की सब्सिडी सरकार देती है। यानी 6 हजार करोड़ रुपये से अधिक की सब्सिडी दी जा रही है। उन्होंने कहा, अगर पूरा हाउस सहमत है तो सब्सिडी के खत्म कर दिया जाए। इसके बाद कनेक्शन जारी करने में कोई दिक्कत नहीं है। उन्होंने कहा कि 50 हॉर्स पावर से अधिक के कनेक्शन सरकार नहीं देगी। 10 हॉर्स पावर तक के लिए सोलर कनेक्शन दिए जाएंगे।

संगठित अपराध बिल पर वेल में आए कांग्रेसी

संगठित अपराध बिल को लेकर हरियाणा विधानसभा बजट सत्र के अंतिम दिन खूब हंगामा हुआ। कांग्रेसी विधायक ने सदन में सरकार के द्वारा पेश किए गए इस बिल का पुरजोर विरोध किया। अन्य विधायकों ने भी किरण चौधरी का समर्थन किया। सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच इस बिल को लेकर तीखी बहस हुई। कुछ देर बाद ही विपक्षी दलों के विधायक वेल में पहुंचकर हंगामा करने लगे। इस दौरान कांग्रेसी विधायक शमशेर गोगी के बयान को लेकर सीएम मनोहर लाल ने कहा कि उनकी रिकॉर्डिंग निकाली जाए।

बढ़ते हंगामे को देखते हुए स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता ने कुछ देर के लिए सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी। हालांकि बाद में सदन में शमशेर गोगी ने कहा कि मैं इस बिल के विरोध में हूँ। कुछ देर बाद सदन की कार्यवाही फिर से शुरू हुई, लेकिन कांग्रेसी विधायकों ने हंगामा शुरू कर दिया। स्पीकर ने फिर सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी।

वित्तीय आंकड़ों पर कांग्रेस को लिखित जवाब देगी सरकार

प्रदेश की आर्थिक स्थिति और राज्य पर कर्ज के बारे में सत्तारूढ़ भाजपा द्वारा प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस को पूरी रिपोर्ट दी जाएगी। यह रिपोर्ट सरकार पंद्रह दिनों में कांग्रेस को सौंपेगी। बुधवार को मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने विधानसभा में पूर्व स्पीकर एवं कांग्रेस विधायक डॉ. रघुबीर सिंह कादियान द्वारा की गई श्वेत-पत्र जारी करने की मांग पर यह ऐलान किया। इससे पहले मंगलवार को मुख्यमंत्री ने बजट चर्चा पर अपने जवाब में विपक्ष के नेता भूपेंद्र हुड्डा द्वारा कर्ज को लेकर दिए आंकड़ों को गलत ठहराया था। उन्होंने यह भी कहा था कि पिछले कुछ दिनों में पूर्व सीएम पांच बार अपने आंकड़ों को बदल चुके हैं। हुड्डा साढ़े चार लाख करोड़ रुपये के करीब का कर्जा प्रदेश पर बता रहे हैं। वहीं सरकार यह मानने को तैयार नहीं है।

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