पूज्य गुरु जी ने जात-धर्म का भेद मिटाया, पिला के रूहानी जाम ‘इन्सां’ बनाया

Jaam-E-Insan Guru Ka Diwas

रूहानी जाम पीकर ‘इन्सानियत की सेवा’ के मार्ग पर दृढ़ता से आगे बढ़ रहे सवा 6 करोड़ डेरा श्रद्धालु

अहमदाबाद(सच कहूँ/विजय शर्मा)। मरती इंसानियत को जिंदा रखने के लिए पूजनीय बेपरवाह साईं शाह मस्ताना जी महाराज ने जहां 29 अप्रैल 1948 को डेरा सच्चा सौदा की स्थापना की, वहीं तीसरी बॉडी में पूज्य गुरु संत डॉॅ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के रूप में रूहानी जाम पिला कर सवा 6 करोड़ डेरा श्रद्धालुओं को ‘इन्सां’ बनाकर इंसानियत के लिए जीना सिखाया दिया। सर्व धर्म संगम डेरा सच्चा सौदा के अनुयायी आज पाखंडवाद व जातिवाद को छोड़कर अपने सच्चे सतगुरु जी की पावन शिक्षाओं पर अमल कर मानवता का डंका पूरे विश्व में बजा रहे हैं। समाज में मानवता की ज्योत जला रहे गुजरात के डेरा श्रद्धालुओं से जब सच कहूँ संवाददाता ने बातचीत की तो वे कुछ यू बोले:-


‘‘गुजरात ही क्या, देश के हर कौने में कहीं न कहीं आज भी जात पात, ऊंच-नीच की कुरितियाँ मौजूद हैं। ये सामाजिक बुराई जब तक देश में है, इंसान को जानवर ही समझा जाएगा। लेकिन मैं खुद पर गर्व महसूस करता हूँ कि मैं ऐसे सामाज का हिस्सा नहीं हूँ। क्यों कि मैं सर्व धर्म संगम डेरा सच्चा सौदा का अनुयायी हूँ। मेरा एक ऐसा महान ‘गुरु’ है जो सभी धर्मों का सत्कार करता भी है और अपने अनुयायियों को भी करने की शिक्षा देता है। पूरे विश्व में सिर्फ और सिर्फ डेरा सच्चा सौदा ही ऐसी संस्था है जहां हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, इसाई सभी धर्मों के लोग सब एक सात बैठकर रामनाम की चर्चा करते हैं।
-बलदेव इन्सां, भंगीदास, अहमदाबाद।


‘‘पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने रूहानी जाम पिलाकर हमें सच्ची इन्सानियत की परिभाषा समझाई है। पूज्य गुरु जी ने हमें बताया है कि किसी को गम, दुख दर्द में तड़पता देखकर उसकी यथा संभव सहायता करना उसके दु:ख-दर्द को दूर करने की कोशिश करना, पीड़ित की मदद करना ही सच्ची इन्सानियत है। पूज्य गुरु जी की शिक्षाओं का ही असर है कि आज पूरे विश्व में मानवता भलाई के कार्य कर डेरा सच्चा सौदा का स्थापना माह मनाया जा रहा है। डेरा अनुयायी अपनी हर खुशी दूसरों की मद्द करके मनाते हैं।
-जगरूप सिंह इन्सां, गांधीधाम, अहमदाबाद।


‘‘पूरे विश्व में डेरा अनुयायियों द्वारा ‘डेरा सच्चा सौदा का स्थापना माह व जाम-ए-इन्सां गुरु का’ उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। जाम-ए-इन्सां का मतलब 47 नियमों को मानना है। जिसमें कोई धर्म परिवर्तन नहीं होता बल्कि अपने-अपने धर्म में रहते हुए सर्वधर्म को एक व इन्सानियत को मानना है। इसके अतिरिक्त शराब व मांस का सेवन न करना, लोगों की बुराईयां छुड़वाना, ठग्गी-बेईमानी छोड़ना, कमाई का 15वां हिस्सा सृष्टि की नि:स्वार्थ सेवा में लगाना, खूनदान, विद्यादान, मरणोपरांत नेत्रदान-शरीरदान करना सहित अन्य नियम शामिल हैं।
-त्रिभूवन, बेला गांव, जिला कच्छ।


‘‘पूरी कायनात और इन्सानियत का भला हो, इसी उद्देश्य को लेकर पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने जाम-ए-इन्सां (रूहानी जाम) पिलाने की रीत चलाई, एक सच्चा गुरु, पीर-फकीर ही समस्त लोगों के हित के बारे सोच सकता है। क्योंकि वो खुद अल्लाह, राम, वाहिगुरु, गॉड, खुदा, रब्ब का अवतार होते हंै। पूज्य गुरु जी ने हमेशा सृष्टि पर परोपकार किया है। पूज्य गुरु जी की बदौलत ही पूरे विश्व में करोड़ों डेरा श्रद्धालुओं हर दम देश व इंसानियत की सेवा के लिए तैयार खड़े हैं।
-अमर सिंह इन्सां, गांव अमरपुर, जिला कच्छ।


‘‘29 अप्रैल सन् 1948 को डेरा सच्चा सौदा के संस्थापक पूजनीय बेपरवाह सार्इं शाह मस्ताना जी महाराज ने डेरा सच्चा सौदा की नींव रखी थी। 29 अप्रैल 2007 को ही पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने ‘रूहानी जाम’ शुरू करके इन्सानियत की मशाल जगाई। पूज्य गुरु जी की पावन शिक्षाओं पर चलकर आज करोड़ों शिष्य ‘इन्सानियत की सेवा’ के मार्ग पर दृढ़ता आगे बढ़ रहे हैं। पूज्य गुरु जी द्वारा पूरे विश्व में चलाए जा रहे 138 मानवता भलाई कार्य भी अद्भूत, अकल्पनीय व बेमिसाल हैं।
-अभिषेक, सहानी, गांधीधाम।


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