
Viral news: अनु सैनी। भारतीय स्ट्रीट फूड की शान और हर किसी की पसंद — समोसा, जिस पर हम चाय के साथ दिल हार बैठते हैं, उसी समोसे को एक देश में अपराध की श्रेणी में रखा गया है। सिर्फ खाना ही नहीं, बल्कि इसे बनाना भी गैरकानूनी माना गया है। और यह कोई मज़ाक नहीं बल्कि सच्चाई है। सवाल यह है कि आखिर ऐसा क्यों?
कौन सा देश है जहां समोसा है ‘गुनाह’? Viral news
यह देश है अफ्रीकी महाद्वीप में स्थित सोमालिया (Somalia)। सोमालिया की कट्टरपंथी आतंकी संगठन अल-शबाब (Al-Shabaab) ने समोसे पर प्रतिबंध लगाया हुआ है। यह संगठन लंबे समय से इस देश में अपनी धार्मिक कट्टरता के लिए जाना जाता है और यही कारण है कि समोसे जैसे आम खाद्य पदार्थ को भी उनके नियमों ने “हराम” घोषित कर दिया।
समोसे की शक्ल है वजह?
अब सवाल उठता है कि समोसे में ऐसा क्या है जो आतंकी संगठन को चुभता है? दरअसल, समोसे की त्रिकोणीय आकृति (Triangle Shape) को यह संगठन “ईसाई धर्म के प्रतीक” (Holy Trinity) से जोड़ता है। उनका मानना है कि समोसे की यह आकृति ईसाई धर्म के तीन रूपों — पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा — का प्रतीक है, और इसलिए इसे इस्लाम विरोधी माना गया।
यही नहीं, अल-शबाब का यह भी तर्क है कि समोसा “गैर-इस्लामी” परंपरा का हिस्सा है और इसलिए इसे अपनाना धर्म के खिलाफ है। इस वजह से साल 2011 में इस संगठन ने समोसे पर पूरे सोमालिया में प्रतिबंध लगा दिया।
सिर्फ खाना नहीं, बनाना भी है मना
समोसे पर सिर्फ खाने का ही नहीं, बल्कि बनाने, बेचने और वितरण पर भी रोक है। इस आदेश का उल्लंघन करने पर लोगों को गिरफ्तार किया जा सकता है, उनके साथ हिंसा की जा सकती है या सजा दी जा सकती है। कई स्थानीय व्यापारियों को सिर्फ समोसे बेचने की वजह से अल-शबाब के लड़ाकों ने धमकी दी है या सजा भी दी है।
क्या सरकार ने इस बैन को हटाया?
सोमालिया में सरकार और अल-शबाब के बीच लंबे समय से संघर्ष जारी है। हालांकि राजधानी मोगादिशु और कुछ शहरी इलाकों में सरकार का नियंत्रण है, फिर भी ग्रामीण और दूरदराज़ के हिस्सों में आज भी अल-शबाब का प्रभाव बना हुआ है। इन इलाकों में अब भी समोसे पर यह पाबंदी प्रभावी मानी जाती है।
भारत में समोसे की लोकप्रियता और महत्व
भारत में समोसा न सिर्फ एक खाद्य पदार्थ है, बल्कि एक भावना है। स्कूल की छुट्टी के बाद, ऑफिस ब्रेक में, चाय की चुस्की के साथ — समोसा हमारी दिनचर्या का हिस्सा बन चुका है। शादी से लेकर नुक्कड़ की दुकानों तक, समोसे की मौजूदगी हर जगह दिखती है। इसे आलू, मटर, मसाले और कभी-कभी पनीर या नूडल्स से भरा जाता है।
सोशल मीडिया पर भी हैरानी Viral news
जब सोशल मीडिया पर यह खबर फैली कि सोमालिया में समोसे पर बैन लगा है, तो लोगों ने हैरानी और गुस्से दोनों का इज़हार किया। कुछ लोगों ने मजाक उड़ाते हुए कहा, “अगर समोसा भी हराम हो गया तो जिंदगी का मज़ा ही क्या बचा!” वहीं कुछ ने चिंता जताई कि धर्म के नाम पर खाने तक की स्वतंत्रता छीनना कहां तक जायज है।
क्या यह धार्मिक कट्टरता की चरम सीमा नहीं?
ध्यान देने वाली बात यह है कि समोसा किसी एक धर्म से जुड़ा नहीं है। यह एक आम स्ट्रीट फूड है जो भारत, पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश, और यहां तक कि मध्य एशिया में भी खूब पसंद किया जाता है। लेकिन धार्मिक कट्टरता और आतंकवादी मानसिकता जब हावी हो जाती है, तो वहां स्वाद, संस्कृति और सामान्य जीवनशैली सब कुछ प्रभावित हो जाता है।
एक समोसे की कहानी, जो आज़ादी की कमी बयान करती है
जिस चीज को हम हल्के में लेते हैं — जैसे समोसे के साथ एक चाय का प्याला — वह किसी और के लिए एक अपराध बन सकता है। सोमालिया में समोसे पर लगे इस बैन से एक बड़ी सच्चाई सामने आती है: जब समाज पर आतंक और कट्टरता हावी हो जाती है, तो वहां खाना भी हथियार बन जाता है।