संगरिया की 10वीं शरीरदानी बनी माता मीरा देवी इन्सां
माता मीरा देवी इन्सां को पावन नारे ‘‘धन-धन सतगुरु तेरा ही आसरा’’ के साथ भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की
लेकर कहां कुछ वापिस जाना, ये शरीर भी दान है…
‘जब तक सूरज चांद रहेगा भागीराम इन्सां तेरा नाम रहेगा...’ भागीराम इन्सां अमर रहे...,शरीर दान महादान के नारे लगाकर पार्थिव शरीर को विदाई दी
आत्मा दुनिया में आकर भूल जाती है गर्भ में किए वादे
पूज्य गुरु जी आगे फरमाते हैं कि जो जीवात्मा अपने मालिक से किए हुए वायदे को तोड़ देती है वह गद्दार के समान बन जाती है। वह आत्मा चंद रुपये-पैसों, मान-बड़ाई और अपनी झूठी वाह-वाह के लिए अपने मालिक से मुनकर हो जाती है।
शुद्ध अंत:करण से मिलता है भगवान
आप जी फरमाते हैं कि मालिक की मोहब्बत में चलना वही जानते हैं जो अपना सिर, हथेली पर रख लिया करते हैं। उसके प्यार में चलना कोई आसान काम नहीं है। इसमें सबसे बड़ी रुकावट उसकी खुदी है।


























