सत्संग में पैदा होती है प्रभु-भक्ति की भावना
अगर आप मालिक का नाम जपना चाहते हैं तो आप सत्संग सुनें। तभी आपको प्रेरणा मिलेगी, आपके अंदर मालिक के नाम के प्रति लगन लगेगी।
अपने फर्ज का निर्वाह करो, मगर अति नहीं होनी चाहिए
जिस रिश्ते के लिए जुड़े हैं, बहन-भाई का रिश्ता, पति-पत्नी का, मां-बेटे का रिश्ता इन रिश्तों के लिए जो भी आपके फर्ज हैं, कर्त्तव्य है उस प्यार का निर्वाह करो, लेकिन अति नहीं होनी चाहिए। अति अगर करना चाहते हो तो भगवान, सतगुरु के प्यार में करो।