Satellite Collision: नई दिल्ली। एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स की स्टारलिंक सेवा को भारत में शुरू करने की अंतिम अनुमति और संभावित कीमतों को लेकर चर्चाओं के बीच वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष में बढ़ती भीड़ को लेकर गंभीर चेतावनी दी है। विशेषज्ञों का कहना है कि पृथ्वी की कक्षा में लगातार बढ़ रहे उपग्रह भविष्य में एक बड़े संकट का कारण बन सकते हैं। Starlink News
वैज्ञानिकों के अनुसार, वर्तमान कक्षीय व्यवस्था एक तरह से “ताश के पत्तों के घर” जैसी नाजुक स्थिति में है। आशंका जताई जा रही है कि किसी बड़े सौर तूफान की स्थिति में केसलर सिंड्रोम नामक परिदृश्य हकीकत बन सकता है। यह एक सैद्धांतिक स्थिति है, जिसमें उपग्रहों की आपसी टक्कर से अंतरिक्ष में मलबे की श्रृंखला बन जाती है, जिससे कक्षा में काम करना लगभग असंभव हो सकता है।
साल 2023 में अमेरिकी फेडरल कम्युनिकेशंस कमीशन (FCC) में दाखिल एक रिपोर्ट के मुताबिक, बीते चार वर्षों में स्टारलिंक के उपग्रहों को करीब 50 हजार बार संभावित टकराव से बचने के लिए अपनी कक्षा बदलनी पड़ी। साउथैम्प्टन विश्वविद्यालय के खगोल-भौतिकी प्रोफेसर ह्यू लुईस का अनुमान है कि 2028 तक यह संख्या हर छह महीने में दस लाख तक पहुंच सकती है। SpaceX News
जैसे-जैसे टकराव से बचाव की घटनाएं बढ़ रही हैं, वैसे-वैसे गलती की गुंजाइश भी कम होती जा रही है। यदि केसलर सिंड्रोम वास्तव में घटित होता है, तो पृथ्वी की कक्षा में किसी भी नए अंतरिक्ष यान को भेजना अत्यंत जोखिम भरा हो जाएगा, क्योंकि अंतरिक्ष मलबे से टकराने की संभावना कई गुना बढ़ जाएगी।
सौर तूफान बन सकते हैं खतरे की वजह | SpaceX News
प्रिंसटन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के अनुसार, सौर तूफान इस पूरे परिदृश्य में निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं। सौर गतिविधियों से वायुमंडल का तापमान बढ़ता है, जिससे कक्षीय खिंचाव अधिक हो जाता है। ऐसे में उपग्रहों को अपनी स्थिति बनाए रखने और टकराव से बचने के लिए ज्यादा ईंधन खर्च करना पड़ता है।
शोधकर्ताओं ने मई 2024 में आए ‘गैनन सौर तूफान’ का उदाहरण दिया, जब निचली कक्षा में मौजूद पृथ्वी के आधे से अधिक उपग्रहों को अपनी कक्षा बदलने के लिए ईंधन का उपयोग करना पड़ा था। इसके अलावा, सौर तूफान उपग्रहों के संचार और नेविगेशन सिस्टम को भी प्रभावित कर सकते हैं, जिससे दुर्घटना का खतरा और बढ़ जाता है।
क्या है CRASH क्लॉक | SpaceX News
अंतरिक्ष में बढ़ती भीड़ के खतरे को मापने के लिए वैज्ञानिकों ने CRASH (Collision Realization and Significant Harm) क्लॉक नाम का एक पैमाना विकसित किया है। यह संकेत देता है कि यदि सौर तूफान के कारण उपग्रह संचालकों के बीच संपर्क टूट जाए और बचाव की कोशिशें नाकाम हों, तो कितने समय में एक बड़ी टक्कर हो सकती है।
वर्तमान आकलन के अनुसार, CRASH क्लॉक 2.8 दिन पर पहुंच चुकी है, जबकि 2018 में यह आंकड़ा 121 दिन था। विशेषज्ञों का मानना है कि यह तेज गिरावट 2019 के बाद से शुरू हुए स्टारलिंक मेगा-कॉन्स्टेलेशन प्रोजेक्ट के कारण आई है, जिसने अंतरिक्ष में उपग्रहों की संख्या तेजी से बढ़ा दी है। SpaceX News















